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बीकानेर,शहर के ऐसी कई कथित फाइनेंस कम्पनियां चल रही हैं जो महिलाओं के समूह बनाकर उन्हें ऋण मुहैया कराती है। प्रति सप्ताह के हिसाब से ऋण की किस्त ब्याज सहित लेते हैं। किसी कारण से कोई समय पर किस्त नहीं चुकाता तो जुर्माना की राशि अलग से अदा करनी पड़ती है। दो-तीन किस्त नहीं भरने पर समूह की महिलाएं व कम्पनी प्रतिनिधियों की धमकियों का सामना करना पड़ता है, कई बार तो मामला मारपीट तक पहुंच जाता है। यह कंपनियां पिछले करीब डेढ साल से शहर के गली-मौहल्लों में सक्रिय है। इन कंपनियों के संचालक कौन है,इनके दफ्तर कहां है और यह कंपनियों कहीं रजिस्ट्रर्ड भी है या नहीं इसके बारे किसी को कोई जानकारी नहीं है। मजे कि बात तो यह है कि फाईनेंस कंपनी के प्रतिनिधी आसान प्रक्रिया से ऋ ण मुहैया कराने का झांसा देकर गरीब और दलित वर्ग की महिलाओं के घर-परिवार समेत आस पड़ोस में रहने वालों की नीजि जानकारी तक हासिल लेते है। इनकी गतिविधियां पूरी तरह संदिग्ध होने के बावजूद प्रशासन और पुलिस पूरी तरह बेखबर है। वहीं जानकारों का कहना है कि शहरभर में नियम विरुद्ध संचालित हो रही फर्जी माइक्रो कम्पनियों पर जल्द ही अंकुश नहीं लगाया गया तो हो सकता है कि कर्ज तले दबे किसी और व्यक्ति को अकाल मौत को गले लगाना पड़े। शहर में ऐसी कई फाइनेंस कम्पनियां धड़ल्ले से चल रही हैं। जहां महिलाओं का समूह बनाकर उन्हें पांच से एक लाख रुपए तक का ऋण देते हैं। अधिकतर निम्न वर्ग की जरूरतमंद महिलाएं इससे जुडक़र ऋण लेती हैं। जिनको ऋण के बदले प्रतिमाह या प्रति सप्ताह ब्याज सहित किस्त अदा करनी होती है। समय पर किस्त अदा नहीं करने पर एक हजार रुपए की किस्त पर प्रति सप्ताह के 100 रुपए तक ब्याज वसूला जाता है। किश्त चूक जाने पर समूह की महिलाएं घर पहुंच जाती हैं तो कभी माइक्रो फाइनेंस कम्पनी वाले धमकिया देना शुरू कर देते है। कच्ची बस्ती में रहने वाली एक महिला ने अपना नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि घर खर्च के लिए उसने फाइनेंस कम्पनी से 60 हजार का ऋण लिया था। दो वर्षों में ब्याज सहित एक लाख 60 हजार रुपए चुका दिए, लेकिन अभी भी 50 हजार रुपए वसूली का दबाव बनाये हुए है।

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