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बीकानर,जयपुर। प्रदेश में 1 सितम्बर से स्कूलो को खोले जाने के आदेश के बाद लगातार गतिरोध जारी है, प्रदेश में अभिभावकों के सबसे प्रमुख संगठन संयुक्त अभिभावक संघ ने एक सर्वे के माध्यम से दावा किया है कि प्रदेश का अभिभावक बिना वेक्सिनेशन और सुरक्षा गारंटी के बच्चों को स्कूल भेजने के खिलाफ है। संयुक्त अभिभावक संघ ने दावा किया कि छ: सौ अभिभावकों में से 500 से अधिक अभिभावक वर्तमान हालात को देखकर स्कूल खोले जाने के खिलाफ है।

प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि प्रदेश में राज्य सरकार निजी स्कूलों के दबाव में आकर मनमाने फैसले लेकर ना केवल बच्चों और उनके भविष्य से खिलवाड़ करने की योजना बना रही है बल्कि सोची-समझी साजिश के तहत अभिभावकों के परिवारों को उजाड़ने का षड्यंत्र भी रच रही है।

जैन ने कहा कि प्रदेश में प्रत्येक निजी स्कूल संचालक अभिभावकों के साथ – साथ राज्य सरकार पर भी हावी है और राज्य सरकार को कठपुतली बनाकर इस्तेमाल कर रहे है। निजी स्कूल संचालक अभिभावकों से फीस वसूलने और राज्य सरकार से आरटीई की राशि वसूलने का दबाव बनाकर केवल अपना घर भर रहे है। जिसको राज्य सरकार पूरा संरक्षण दे रही है। इसी दबाव के चलते स्कूलो को खोलने के आदेश दिए गए है जबकि जिन राज्यों में स्कूल खोले गए है उन राज्यों की रिपोर्ट तक को धत्ता बताते हुए निजी स्कूलों के दबाव में स्कूल खोलने के आदेश दिए जिसे अब प्रदेश का अभिभावक सिरे से नकार रहे है।

लोकसभा में किये बर्ताव से केंद्र और राज्यो ने खोया विश्वास*

प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि पिछले दिनों लोकसभा में एक प्रश्न के सवाल पर जब यह पूछा गया कि देश मे ओक्सिजन की कमी से मरने वालों की संख्या पूछी गई तो जवाब में ” केंद्र सरकार ने कहा था कि ऑक्सीजन की कमी से देश मे एक भी मौतें नही हुई है। ” राज्य की सरकारों ने इस संदर्भ में कोई रिपोर्ट केंद्र सरकार को नही दी है जिसमे राजस्थान भी शामिल था। केंद्र और राज्य सरकारों के इस बर्ताव ने ना केवल प्रदेश के आम नागरिकों का विश्वास खोया है बल्कि अभिभावकों के विश्वास को भी बहुत बड़ी ठेस पहुंचाई है। क्योकि कोरोना संक्रमण की द्वितीय लहर में जिस प्रकार ऑक्सीजन का प्रकोप देश ने झेला और उसके बाद जिम्मेदारों ने अपना पल्ला झाड़ा उससे अभिभावकों को घोर निराशा हाथ लगी है, ऐसे बर्ताव के चलते अभिभावक के केवल चिंतित है बल्कि बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर सतर्कता भी बरत रहे है।

अंधे कानून, बेहरे प्रशासन और गूंगी सरकार की कमजोरियों का फायदा उठा रहे है निजी स्कूलों संचालक*

प्रदेश कोषाध्यक्ष सर्वेश मिश्रा ने कहा कि ” प्रदेश के निजी स्कूल संचालक अंधे कानून, बेहरे प्रशासन और गूंगी सरकार की कमजोरियां का फायदा उठा लगातार अभिभावकों, छात्र-छात्राओं पर अनैतिक दबाव बना रहे है। ” डेढ़ साल से प्रदेश का अभिभावक राज्य सरकार और निजी स्कूलों से गुहार लगा रहा है किन्तु ना स्कूल सुन रहे है ना सरकार सुन रही है। इसके अतिरिक्त मामला जब राजस्थान हाईकोर्ट में गया तो हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलना निजी स्कूलों द्वारा की गई और खुद राज्य सरकार द्वारा की जा रही है, उसके बाद जब मामला सर्वोच्च न्यायालय में पहुंचा और 03 मई 2021 को सर्वोच्च न्यायालय ने अपना अंतिम आदेश दे दिया तो अब निजी स्कूल संचालक उस आदेश की पालना भी सुनिश्चित नही कर रहे है और इस संदर्भ में राज्य सरकार और शिक्षा विभाग को शिकायत दर्ज करवा रहे है तो शासन और प्रशासन निजी स्कूलों के दबाव में आकर बेहरे, गूंगे बने बैठे है व अंधे कानून की नाजायज फायदा उठा रहे है।

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