बीकानेर,राजस्थान में विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी में भीतरखाने मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर खींचतान चल रही है. बीजेपी आलाकमान जहां राज्य इकाई को मजबूत करने के लिए प्रदेशभर में दौरे कर रहा है वहीं राज्य में बीजेपी के पूनिया और राजे धड़े मजबूती के साथ अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं.राजस्थानबीजेपी के मुखिया सतीश पूनिया पिछले काफी दिनों से जमीन पर सक्रिय है वहीं अब पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी चुनावी मोड में आ गई है. आलाकमान से तमाम रंजिशें और प्रदेश इकाई के साथ टसल के बीच राजे चुनावों में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में उभरने के लिए एक्टिव दिखाई दे रही है.
वहीं दूसरी ओर बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व सीएम फेस की बहस में उलझे बिना चुनावों से पहले संगठन को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. जानकारी के मुताबिक आने वाले 6 महीनों में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह राज्य के सभी 33 जिलों का दौरा करेंगे. वहीं 9-10 सितंबर को राजस्थान में पार्टी के ओबीसी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी आयोजित की जाएगी जहां अमित शाह और जेपी नड्डा शामिल होंगे.
बता दें राजे खेमे की तरफ से उन्हें सीएम बनाए जाने की चर्चा जोर पकड़ रही है लेकिन आलाकमान ने अभी अपना रूख साफ नहीं किया है. पार्टी के सूत्रों का कहना है कि बीजेपी नेतृत्व को राज्य में राजे के काम करने के तरीके को लेकर कई तरह की आशंकाएं हैं. ऐसे में केंद्र और राज्य दोनों के नेता इस बात पर जोर दे रहे हैं कि बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2023 का विधानसभा चुनाव लड़ेगी.
हिंदुत्व समर्थक छवि की ओर बढ़ रही राजे !
मालूम हो कि पिछले विधानसभा चुनावों में राजे के प्रति मतदाताओं के मोहभंग के कारण बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था. 2018 के विधानसभा चुनावों के दौरान राज्य में “मोदी तुझसे बैर नहीं, वसुंधरा तेरी खैर नहीं” के खूब नारे लगे थे. इसके बाद राजे की राज्य इकाई और आलाकमान की ओर से लगातार अवहेलना का सामना करना पड़.
इसके बाद अब 2023 के चुनावों से पहले राजे एक बदले हुए दृष्टिकोण पर काम कर रही है और गहलोत सरकार को घेरने के साथ ही हिंदुत्व समर्थक छवि को मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पार्टी के सूत्रों का कहना है कि राजे कभी हिंदुत्व का चेहरा नहीं रही हैं लेकिन उनके कुछ करीबी नेताओं को लगता है कि विकास पर जोर देने वाला उनका राजनीतिक रुख उनको ऐसे समय में खुद को खड़ा करने के लिए आवश्यक समर्थन जुटाने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता है.
वहीं इस साल मई में पूनिया ने कहा था कि पार्टी चुनावों में एक चेहरा पेश नहीं करेगी और आगामी चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़ेगी. इसके अलावा पूनिया का बीजेपी नेताओं की उम्र को लेकर दिया गया बयान भी राजे से जोड़कर देखा गया था क्योंकि पूनिया की उम्र 57 साल है वहीं राजे 2023 में 70 साल की हो जाएगी.
राजस्थान में वसुंधरा पावरहाउस बरकरार !
गौरतलब है कि 2018 के चुनावों के बाद से राजे को पार्टी में अपनी जगह बनाने के लिए जमकर संघर्ष करना पड़ा है. राजे खेमे से अशोक परनामी के राज्य इकाई प्रमुख के पद से इस्तीफा देने के बाद, केंद्रीय नेतृत्व केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को नया अध्यक्ष बनाना चाहता था लेकिन राजे ने आलाकमान के खिलाफ जाकर मदन लाल सैनी के नाम पर मुहर लगवाई. बताया जाता है कि राजस्थान बीजेपी में राजे पावरहाउस बनने के बाद 2018 के चुनावों में हार के बाद से पार्टी में कोई महत्वपूर्ण भूमिका निभाने से दूर रखा गया था.