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जयपुर / चुरू। राजस्थान के समायोजित शिक्षाकर्मियों की सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुप्रीम जीत हुई। वहीं फैसले से राजस्थान सरकार के मंसूबों को बड़ा झटका लगा। ऑनलाइन सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें पुरानी पेंशन के प्रकरण की फिर से सुनवाई करने के आदेश दिए गए थे। ध्यान रहे कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट समायोजित शिक्षाकर्मियों के लिए पुरानी पेंशन की बहाली का आदेश पहले ही दे चुका  है। इसके बाद भी राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान सरकार की याचिका पर फैसले को रिकॉल करते हुए फिर से सुनवाई करने के आदेश जारी कर दिए। समायोजित शिक्षाकर्मियों ने इसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।   यूं चला सिलसिला

दरअसल राजस्थान समायोजित शिक्षाकर्मी संघ राजस्थान और राजस्थान समायोजित शिक्षाकर्मी वेलफेयर सोसायटी द्वारा 2011 में राजकीय विद्यालयों तथा महाविद्यालयों में समायोजन के पश्चात 25 जुलाई, 2012 में  पुरानी पेंशन को लेकर उच्च न्यायालय जोधपुर में परिवाद दायर किया था जिस पर उच्च न्यायालय जोधपुर ने 1 फरवरी, 2018 को पुरानी पेंशन व्यवस्था को बहाल करने का फैसला सुनाया। इस पर नाखुश राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट  में विशेष अनुमति याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने 13 सितंबर, 2018 को  राजस्थान सरकार की विशेष अनुमति याचिका को यह मानकर खारिज कर दिया कि उच्च न्यायालय जोधपुर का पुरानी पेंशन देने का फैसला सही है। सरकार बनी रोड़ा
पुरानी पेंशन को बहाल न करने पर अड़ी राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय जोधपुर में पुनर्विचार याचिका दायर कर बड़ा रोड़ा बन गई। हाई कोर्ट जोधपुर ने कुछ बिंदुओं को पुनः विचार करने हेतु स्वीकार कर लिया। इससे मामला फिर लटक गया। समायोजित शिक्षाकर्मियों को तब बड़ा झटका लगा जब राजस्थान सरकार की इस पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर ने 20 सितंबर, 2021 को यह फैसला दिया कि इस मामले की फिर से सुनवाई होगी।    आखिरकार सुप्रीम अदालत की ली शरण
राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर के 20 सितंबर, 2021 के पुनर्विचार याचिका पर दिए निर्णय से असंतुष्ट समायोजित शिक्षाकर्मी संघ ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की शरण लेनी पड़ी और विशेष अनुमति याचिका दायर की जिस पर सुप्रीम कोर्ट के जज विनीत शरण तथा अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ में ऑन लाइन बहस हुई। बहस पूरी होने के बाद सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने समायोजित शिक्षाकर्मियों के पक्ष में फैसला सुनाया और राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर के 20 सितंबर, 2021 के फिर से सुनवाई करने के आदेश पर रोक लगा दी और राजस्थान सरकार को तीन सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। इन अधिवक्ताओं ने रखा मजबूत पक्ष
समायोजित शिक्षाकर्मियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में ऑन लाइन बहस में भाग लेते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान, राकेश द्विवेदी ने तर्क करते हुए मजबूती से पक्ष रखा और  राजस्थान सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत  के दिए गए तर्कों को अपने तथ्य पूर्ण तर्कों से काट कर बहस  की।  सभी अधिवक्ताओं की दलीलों को सुन कर सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय जोधपुर के 20 सितंबर 2021 के पुनर्विचार याचिका पर दिए फैसले पर स्थगन देकर राजस्थान सरकार को तीन सप्ताह में अपने जवाब प्रस्तुत करने का निर्णय देते हुए  नोटिस जारी कर दिए। आज की बहस में अधिवक्ता ग्रुप कैप्टन कर्ण सिंह भाटी, श्रीमती चित्रांगदा राष्ट्रवर, विवेक डांगी, निर्मल कुमार मालू तथा इरशाद अहमद ने सक्रिय सहयोग किया। दिल्ली स्थित ग्रुप कैप्टन कर्ण सिंह भाटी के कार्यालय में ऑन लाइन सुनवाई में राजस्थान समायोजित शिक्षाकर्मी संघ के प्रदेशाध्यक्ष सरदार सिंह बुगालिया, प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष हनुमंत सिंह राठोड़, महाविद्यालय प्रतिनिधि प्रो. शिव सिंह दुलावत तथा प्रदेश संयोजक अजय पंवार उपस्थित रहे। दौड़ी ख़ुशी की लहर
प्रदेश प्रवक्ता  नवीन कुमार शर्मा  के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले के बाद राजस्थान के समस्त समायोजित शिक्षाकर्मियों में ख़ुशी की लहर दौड़ गई। प्रदेश अध्यक्ष सरदार सिंह बुगालिया ने कहा कि आज का निर्णय सत्य की जीत का निर्णय है। उन्होंने कहा कि सत्य कभी पराजित नहीं हो सकता तथा न्याय की राह कांटों भरी क्यों नहीं हो अन्ततः न्याय की जीत होती ही है।

बुगालिया ने अपने अधिवक्ताओं, विधिक समिति के पदाधिकारियों के मार्गदर्शन तथा कार्य की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए तथा सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया। बुगालिया ने सभी समायोजित शिक्षाकर्मियों को बधाई देते हुए जीत के प्रति आश्वस्त किया तथा संगठन और संघर्ष के समर्पित भाव से कार्य कर न्यायोचित मांगों को पूरा करने हेतु हमेशा की तरह सक्रिय सहयोग करने की अपील की।

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