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बीकानेर,नशे के खिलाफ आवाज आंदोलन चलाने वाले अधिवक्ता विजय सिंह झोरड़ आत्महत्या प्रकरण में नया मोड़ आया है, आत्महत्या के 45 दिन बाद अधिवक्ता के कार्यालय से ही पुलिस पर प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए एक सुसाइड नोट मिला है. उक्त सुसासड नोट अधिवक्ता की तरफ से 20 जुलाई को लिखकर अपने कार्यालय में ही फाइल में रख दिया था.

श्रीगंगानगर -घड़साना,घड़साना में नशे के खिलाफ आवाज आंदोलन चलाने वाले अधिवक्ता विजय सिंह झोरड़ आत्महत्या प्रकरण में नया मोड़ आया है, आत्महत्या के 45 दिन बाद अधिवक्ता के कार्यालय से ही पुलिस पर प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए एक सुसाइड नोट मिला है. उक्त सुसासड नोट अधिवक्ता की तरफ से 20 जुलाई को लिखकर अपने कार्यालय में ही फाइल में रख दिया था.अधिवक्ता के साथी वकील कुलदीप नैन की तरफ से शुक्रवार को किसी फाइल को ढूंढा जा रहा था, तो एक फाइल में यह सुसाइड नोट मिला. अधिवक्ता नैन से इस सुसाइड नोट के बारे मृतका की पत्नी, घड़साना और अनूपगढ़ बार संघ को बताया. जिसके बाद दोनों बार संघ के पदाधिकारियों एवं सदस्यों ने सुसाइड पर संज्ञान में लेते हुए मृतका की पत्नी परिवादिया कांता झोरड़ की तरफ से शनिवार को न्यायालय में प्रार्थना पत्र के साथ प्रस्तुत किया.

पुलिस पर मिलीभगत का आरोप लगाए थे

बार संघ की कार्यकारिणी के द्वारा शनिवार शाम को की गई प्रेस वार्ता में बताया गया कि घड़साना के एडवोकेट विजय झोरड़ ने क्षेत्र में बढ़ रहे नशे के कारोबार पर अुकंश लगाने के लिए एक आंदोलन चलाया था. जिसमें उसने पुलिस पर मिलीभगत का आरोप लगाए थे. पुलिस द्वारा आंदोलन को दबाने के लिए 18 अप्रैल की रात्रि उसे पुलिस थाना में लेजाकर उसके साथ बेरहमी से मारपीट की, मारपीट करने के अगले दिन उस पर शांति भंग की धाराओं में मामला दर्ज किया था. उसके बाद झोरड़ ने पुलिस के अधिकारियों पर मामला दर्ज करवाया था. पुलिस ने भी मामले को वापस लेने के लिए दबाव बनाते हुए उस पर अपहरण, एससी एसटी एक्ट सहित अनेक धाराओं में मामला दर्ज करवा दिया था और मामले को वापस लेने के लिए उस पर दबाव बनाया जा रहा था, जिससे दुखी विजय झोरड़ ने 20 जुलाई को एक सुसाइड नोट लिखकर अपने कार्यालय में ही छोड़ दिया था।पूरे एक माह तक अवसाद में रहने के बाद झोरड़ पुलिस के दबाव को सहन नहीं कर पाया और उसकी हिम्मत जवाब दे गई और उसने 29 अगस्त को आत्महत्या कर ली, जिस पर बार संघ घड़साना, अनूपगढ़ और बार काउंसिल सहित अन्य सामाजिक संगठनों के धरना प्रदर्शन के बाद जिला पुलिस अधीक्षक की अध्यक्षता में प्रकरण की जांच एसओजी से करवाने पर सहमति बनी थी. लेकिन वर्तमान में जांच एसओजी की तरफ से नहीं की जा रही है, सुसाइड नोट नहीं मिलने पर मामले को दबाने की दबाने की कोशिश की जा रही थी.अब सुसाइड़ नोट मिलने के बाद बार संघ मांग करता है कि धारा 306 में दर्ज मुकद्में, विजय सिंह झोरड़ के साथ हुई मारपीट के आरोप में दर्ज मामले, और पुलिस की तरफ से झोरड़ के खिलाफ करवाए गए मामले की एसओजी से जांच करवाई जाए. उन्होंनें मांग करते हुए कहा कि सुसाइड नोट में उनके साथी एडवोकेट ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पर भी आरोप लगाए है. इसलिए मामले की जांच बड़े कैडर के अधिकारी से करवाई जाए. इस प्रेस वार्ता में बार एसोसिएशन घड़साना के पूर्व अध्यक्ष सीताराम, पूर्व अध्यक्ष सरवन बिश्नोई, वरिष्ठ अधिवक्ता सतवीर जाखड़, सरजीत सिंह, कुलदीप नैन, अनूपगढ़ से वरिष्ठ अधिवक्ता बृजलाल शर्मा, रोहताश यादव, इंद्राज कस्वां, मूलाराम जांगू, बार संघ उपाध्यक्ष शीशपाल सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश रावत, सुशील गोदारा, आनंद सोलंकी, गुरतेज सिंह, सुरेंद्र कुमार चालिया, वरिष्ठ अधिवक्ता नारायण सिंह कामरा, हंसराज यादव, दिनेश कामरा, पूर्व प्रवक्ता बार संघ अनूपगढ़ एडवोकेट तिलकराज चुघ, अनुप्रीत स्वामी, दयाराम लखेश्वर, बलदेव सेन, दीवान चंद चुघ तथा कपिल मिढा सहित समस्त अधिवक्ता गण प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपस्थित रहे.उक्त मामले में एडवोकेट ने झोरड़ ने एक माह पहले ही आत्महत्या जैसा कदम उठाने की ठान ली थी. सुसाइड नोट में लिखा कि वह 18 अप्रैल 2022 को घड़साना पुलिस थाना में मारपीट का मुकद्मा दर्ज करवाने के लिए गए थे. तब पुलिस ने उसे पकड़ लिया और मारपीट की. उस रात रावला थानाधिकारी सुरेंद्र पचार भी साथ थे, पूरी रात एसआई कल्पना एसआई पृथ्वीराज, कमल मीणा, कमल गोदारा, सीआई का रीडर बंसीलाल, जगमोहन मीणा और पूरे पुलिस स्टाफ और आरएसी की पूरी बटालियन ने मारपीट की और जिनके खिलाफ मुकद्मा दर्ज करवाने गए थे, उन्हीं के द्वारा उस पर झूठा मुकदमा दर्ज करवा दिया.पुलिस के द्वारा मारपीट किए जाने पर उसने पुलिस पर आरोप लगाते हुए मुकद्मा दर्ज करवाते हुए. मुकदमे पर राजीनामा करने के लिए उसपर और उसके गवाहों पर एडिएशनल एसपी जय तंवर, पुलिस उपाधीक्षक जयदेव सिहाग, घड़साना थानाधिकारी मदन बिश्रोई, रावला थानाधिकारी सुरेंद्र पचार, एसआई कल्पना का पति पवन कम्बोज और पूरा पुलिस थाना घड़साना बुरी तरह से प्रताड़ित कर रहे हैं और डरा रहे हैं. उसने सुसाइड नोट में लिखा कि वह इस प्रताड़ना से तंग आ चुके हैं. यदि उसे कुछ हो जाता है तो इसके जिम्मेदार उक्त सभी लोग होंगे. उन्होंनें वकील समुदाय का उल्लेख करते हुए लिखा कि उसे न्याय दिलाया जाए.

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