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बीकानेर, राजगायक पद्मश्री हंसराज हंस ने डॉ. करणी सिंह स्टेडियम में जब सूफी तराने छेड़े, उनके अलाप भरे, क्लासिल पुट लगाए तो हजारों श्रोता की रूह बाग-बाग हो गई। हर संगीत प्रेमी झूम उठा, डूब गया हंस के आलापों में, सुरों में, गानों की धमक में, दिल छूने वाली दिलकश पेशकश में। उन्होंने महफिल का आगाज राग मलकोस की बंदिश प्यार नहीं है सुर से जिसको… से किया। उन्होंने राजस्थान के गजल गायक जगजीत सिंह को उनकी गजल ‘गरज बरस प्यासी धरती को फिर पानी दे मौला’ गाकर स्वरांजली दी। इसके बाद एक से एक उम्दा पेशकश का दौर चला।

हंस ने अभी इश्क दी गली विच्चों कोई कोई लगदां… गाना शुरू ही नहीं किया था कि धुन छिड़ते ही श्रोता समझ गए कौन सा गाना है, और लगे झूमने। जब गाना शुरू हुआ तो कोई संगीत प्रेमी ऐसा नहीं था, जो न झूमा हो।
यह आलम तब नहीं रहा जब ऐ जो सिली सिली ओंदी है हवा… गाना शुरू होते ही श्रोता उसके बोलों, धुन और हंस की आवाज के जादू में खो से गए और निशब्द से पूरा गाना सुना, खबू तालियां बजाई, जमकर दाद दी।
दिल टोटे-टोटे हो गया… तराने के शुरू से अंत तक तमाम शामियान खूब झूमे, खूब सुर में सुर मिलाए। ऐसा लगा मानो सूफी गायक हंस ने तमाम श्रोताओं के दिल की तमन्ना यह गाना गाकर पूरी कर दी।
पूरे प्रोग्राम के दौरान जब दर्षकों से हंस के गानों के बारे में पूछा तो लगा कि हंस ने षायद ही कोई ऐसा गाना गाया है, जो सुपर-डुपर हिट नहीं हुआ हो। उन्होंने नित खैर मंगा सोणिया मैं तेरी… में तो तमाम कला प्रेमियों को हर लफ्ज, हर तान, हर लय के साथ सुर मिलाने और झूमने पर मजबूर कर दिया।
इससे भी ज्यादा एक्साइटमेंट तो तब देखने को मिला जब सुपर सिंगर हंस ने अपने एक और सुपरहिट सॉन्ग दिल चोरी साड्डा हो गया… ओए कि करिए… कि करिए… गाकर हर मौजूद शख्स का दिल जीत लिया। उन्होंने सूफी कलाम ‘सुनो महाराजा जगत के वाली’ और ‘छाप तिलक…’ पेश कर शामियान की रूह तक को छू लिया।

कार्यक्रम में संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल, भाजपा के संगठन महामंत्री चंद्रशेखर, संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव अमिता प्रसाद सरभाई, वेस्ट जोन कल्चरल केंद्र की निदेशक किरण सोनी गुप्ता, बीएसएफ के महानिरीक्षक पुष्पेंद्र सिंह सहित तमाम प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी मौजूद रहे।
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