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बीकानेर,बीकानेर से हाल ही में एक ऐसी चौंकाने वाली घटना सामने आई, जिसे जानने-सुनने के बाद कई लोगों के होश उड़ गए। दरअसल, बीकानेर की लूणकरणसर तहसील के सहजरासर गांव में पिछले 16 अप्रैल को तकरीबन डेढ़ बीघा जमीन धंस गई थी।

वहीं, बुधवार यानी की 24 अप्रैल को जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया की टीम वहां पर मुआयना करने पहुंची। यह टीम जमीन धंसने के कारणों का पता लग रही है।

प्राथमिक तौर पर GSI टीम के अनुसार, कभी किसी वक़्त इस जमीन के नीचे पानी का भंडार रहा होगा। इसके कारण जमीन में पोलापन आ गया। वहीं जमीन अचानक से क्यों धंसी, इसके बारे में पूरी जांच पड़ताल करने पर ही मालूम पड़ेगा। बता दें कि GSI की टीम दो दिन तक  रहकर जमीन धंसने के कारण के बारे में जानकारी हासिल करेगी। दरअसल, लोकसभा चुनावों के चलते जियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया की टीम देरी से यहां पहुंची है। इस मामले पर SDM राजेंद्र कुमार नजर बनाए हैं। पूरी तहकीकात के बाद ही असली कारणों का पता लग पाएगा मगर धंसी जमीन के चारों तरफ तारबंदी करवाई गई है तथा पुलिस भी तैनात की गई है ताकि वहां पर कोई भी अनहोनी ना हो सके।

प्राप्त खबर के मुताबिक, लूणकरणसर तहसील से लगभग 25 किलोमीटर दूर सहजरासर गांव में 16 अप्रैल को एक ढाणी के पास जमीन अचानक धंस गई थी। फिर पूरा क्षेत्र दहशत में आ गया। SDM राजेंद्र कुमार ने यहां पर धारा 144 लगा दी तथा लोगों के आने जाने पर रोक लग गई। दूसरी ओर जयपुर से आए भू-वैज्ञानिकों ने यहां पर वॉटर लॉगिंग को जमीन के धंसने की वजह बताई थी। स्थायी लोग इस बात को मान नहीं रहे। उनका कहना था रेगिस्तानी क्षेत्रों में सदियों से ऐसा होता रहा है। जमीन के नीचे पानी होने की बात ही नहीं है। कुछ लोग इसे प्राकृतिक आपदा से जोड़ रहे थे तो कुछ लोग दैवीय प्रकोप कह रहे हैं। सभी के अपने तर्क हैं मगर वैज्ञानिक कारण जांच के बाद ही पता चल सकेंगे।

वही इस मामले में लूणकरणसर के सामाजिक कार्यकर्ता श्रेयांश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी भेजा था तथा साइंटिफिक तरीके से इसकी जांच करने की मांग की। उनका कहना था कि यह प्राकृतिक आपदा है लेकिन जांच फिर भी होनी चाहिए। आने वाले वक़्त में यहां पर कोई और हादसा ना उसके और लोग अपना बचाव कर सके से जरा सा गांव में डेढ़ बीघा जमीन का अचानक 70 फीट नीचे 10 जाना लोगों के लिए वाकई चर्चा का विषय बन गया दरअसल यहां पर कई वर्षों पहले बिजली गिरी थी स्थानियों के अनुसार, इसके कारण हर वर्ष मिट्टी धरती गई कुछ लोगों ने तो इस जगह को बिजलगढ़ का नाम दे दिया है। फिलहाल GSI की टीम इस बारे में छानबीन कर रही है।

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