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नोखा के खेड़ली गांव के सुबेदार तुलसाराम सियाग सियाचिन ग्लेशियर में राष्ट्र को सेवा करते हुए रविवार को शहीद हो गए। जिला प्रशासन को शहीद के बारे में सेना से रिपोर्ट मिल चुकी है। उनकी पार्थिव देह बुधवार तक बीकानेर पहुंच सकती है।

तुलसाराम के परिवार के कुछ सदस्यों को इस घटना की जानकारी दी गई है, लेकिन ये नहीं बताया गया कि किस तरह तुलसाराम शहीद हुए। उनके भाई प्रेमलाल ने बताया कि उनके पास सिर्फ इतनी ही सूचना है कि तुलसाराम ग्लेशियर में शहीद हो गया है। वो स्वयं ये पता करने में जुटे हैं कि किस तरह ये घटना हुई।
ढाई साल से सियाचीन में
तुलसाराम की ड्यूटी पिछले ढाई साल से सियाचीन ग्लेशियर में ही थी। दो महीने पहले नोखा अपने गांव खेड़ली आए थे। परिवारजनों ने दीपावली पर भी गांव में रहने की जिद की लेकिन देश सेवा को प्रथम बताते हुए वो वापस सियाचीन चले गए थे। दीपावली भी वहीं पर मनाई। किसी सेंटर पर जवान की ड्यूटी तीन साल की होती है और दो महीने बाद तुलसाराम की ये अवधि भी पूरी होने वाली थी। नई पोस्टिंग का इंतजार ही चल रहा था।
भरी जवानी में गए थे सेना में
सुबेदार तुलसाराम महज बीस-इक्कीस साल की उम्र में ही सेना में भर्ती हो गए थे। अब 43 वर्ष के हो चुके तुलसाराम ने राष्ट्र सेवा को हमेशा पहले रखा। उनके दो बेटे हैं, जिनमें एक पंद्रह साल का है और अभी ग्यारहवीं कक्षा का स्टूडेंट है, जबकि दूसरा महज चार साल का है।

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