बीकानेर,चुरू सरकार ने वर्ष 2021-22 की बजट घोषणा में प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में कक्षा एक से आठ तक पढ़ने वाले विद्यार्थियों को निःशुल्क गणवेश राशि देने की घोषणा की थी।लेकिन सरकार की इस योजना से पहले कपड़ा और सिलाई की राशि कम होने के कारण कंपनियों ने टेंडर लेने में रुचि नहीं दिखाई. अब जब विद्यार्थियों को गणवेश उपलब्ध कराने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है तो शाला दर्पण पर प्रत्येक बच्चे का खाता संख्या दर्ज करने के विभाग के आदेश के कारण छात्राओं को गणवेश उपलब्ध कराने की प्रक्रिया में अधिक समय लग रहा है. ऐसे में तकनीकी दिक्कतों के चलते प्रक्रिया समय पर पूरी होती नजर नहीं आ रही है। क्योंकि राजस्थान विद्यालय शिक्षा परिषद के राज्य परियोजना निदेशक डॉ. मोहनलाल यादव ने 11 नवंबर को निदेशक प्रारंभिक एवं माध्यमिक शिक्षा को पत्र लिखकर गणवेश सिलाई की राशि सीधे छात्र-छात्राओं के बैंक खाते में भेजने की जानकारी दी है. इसके लिए पहली से आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थियों के बैंक खाते को जन आधार कार्ड से लिंक करना आवश्यक है और इसकी जानकारी शाला दर्पण पोर्टल पर अपलोड की जानी चाहिए। लेकिन अभी तक आधे बच्चों का जन आधार ऑनलाइन नहीं भरा जा सका है। ई-मित्र केंद्रों पर बच्चे व उनके अभिभावक आ रहे हैं, लेकिन जन आधार न तो अपडेट हो रहे हैं और न ही नए बन रहे हैं. सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक है, जहां आज भी ई मित्र जैसी सुविधा नहीं होने के कारण यह कार्य पूरा नहीं हो पा रहा है. इसके साथ ही प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कक्षा एक से पांचवीं तक के बच्चों के खाते शायद ही खुले होंगे। इन कार्यों को समयपर पूरा करने के लिए विभाग प्रदेश के सभी विद्यालयों में जनाधार को अपडेट करने तथा विद्यार्थियों के बैंकों में खाते खुलवाने के लिए कैंप लगवाएं.
सूत्रों की माने तो जनाधार सॉफ्टवेयर को नए वर्जन 2.0 के साथ अपडेट करने का काम डीओआईटी कर रहा है. इसके चलते पिछले करीब 20 दिनों से तकनीकी कारणों से नए जन आधार कार्ड बनाने का काम ठप है। इसके अलावा जनाधार में मोबाइल नंबर, नाम जोड़ने, हटाने और गलत नाम को सही करने सहित कई काम प्रभावित हो रहे हैं। साथ ही छात्रों को मूल निवास प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र आदि बनवाने में भी काफी परेशानी होती है। राज्य सरकार की वर्ष 2021-22 की बजट घोषणा के अनुसार 31 अगस्त 2022 तक राज्य के सभी सरकारी विद्यालयों में कक्षा एक से आठ तक में अध्ययनरत सभी बच्चों को निःशुल्क गणवेश कपड़ा दिया जाना है। इसकी सिलाई के लिए 200 रुपये बच्चों के खाते में ट्रांसफर किए जाने हैं। लेकिन प्रदेश में करीब 50 फीसदी बच्चों के पास न तो जन आधार है और न ही उनके खाते खुले हैं. कई के स्कूल रजिस्टर में दर्ज नाम और जन आधार में दर्ज नाम और जन्मतिथि में अंतर है। शाला दर्पण पर हर बच्चे के जनाधार को अपडेट करने की जरूरत है। जिन बच्चों का जन आधार विवरण शालादर्पण के बैंक खाते में उपलब्ध नहीं है। शालादर्पण पर उनका जनाधार और बैंक विवरण दर्ज करनेके बाद ही भुगतान की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद की ओर से जारी पत्र के अनुसार विभाग ने सभी मुख्य जिला शिक्षा अधिकारियों और राज्य के सभी मुख्य खंड शिक्षा अधिकारियों को 20 नवंबर तक शाला दर्पण पर प्रत्येक बच्चे की पूरी जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. शिक्षक संघ रेस्टा के प्रदेश अध्यक्ष मोहरानसिंह सालावद ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा बजट घोषणा के अनुसार कक्षा एक से आठ तक के विद्यार्थियों को निःशुल्क गणवेश देने का निर्णय स्वागत योग्य है. लेकिन अब तक प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कक्षा पहली से आठवीं तक पढ़ने वाले करीब 50 प्रतिशत विद्यार्थियों को जनाधार व खाता संख्या उपलब्ध नहीं होने के कारण शाला दर्पण पोर्टल पर अपलोड नहीं किया जा सका है. जिससे आप इससे वंचित रह जाएंगे