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बीकानेर,गिद्ध पर्यावरण के प्राकृतिक सफाईकर्मी पक्षी होते हैं जो विशाल जीवों के शवों का भक्षण कर पर्यावरण को साथ-सुथरा रखने का कार्य करते हैं। इस खास किस्म के पक्षी को कुछ वर्ष पूर्व झुंड के झुंड आसमान मे उड़ते हुए देखा जा सकता था लेकिन आज हमारी कल्पना से परे, आकाश उनकी उड़ानों से खाली होने लगा है । दुर्भाग्यवश भारत में गिद्धों की संख्या बहुत तेजी से गिर रही है।

गिद्धों की प्राकृतिक वातावरण में महत्वपूर्ण भूमिका है । गिद्धों की सेवाओं का मानव स्वास्थ्य, आर्थिक गतिविधि और पर्यावरण की गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ता है । गिद्ध कुशलता से मृत पशुओं के शवों को खाकर पर्यावरण को शुद्ध करने में सहायक होते हैं। मानव, पशुओं और वन्य जीवों में संक्रामक बिमारियों के फैलाव को रोकते है व प्राकृतिक दुनिया के स्वच्छता विभाग के रूप में काम करते हैं। गिद्धों के पाचन तन्त्र में लगभग किसी भी संक्रामक बीमारी को पैदा करने वाले रोगाणुओं को नष्ट करने की अद्वितीय क्षमता होती है।

गिद्धों की संख्या में गिरावट के कई कारण हैं। निवास स्थानों का विनाश, लगातार बढ़ता शहरीकरण, प्रजनन की धीमी दर, भोजन की कमी, जहरीले शवों का भक्षण, सड़क और ट्रेन दुर्घटनाएं, विभिन्न विभागों के बीच समन्वय की कमी और कानूनी संरक्षण का अभाव गिद्धों की गिरती संख्या के कारण हैं। घोंसले बनाने के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले पेड़ों की कटाई से निवास और भोजन स्थल के विनाश भी गिद्ध आबादी में गिरावट के कारण है।

विभिन्न सरकारी विभाग, वैज्ञानिक और संरक्षणवादी गिद्ध संरक्षण के लिए काम करने के लिए एक साथ आ रहे हैं। चूंकि हम उन्हें हर दिन खो रहे हैं, भावी पीढ़ी को गिद्धों की दुर्दशा के बारे में जागरूक करने के लिए दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस (प्रत्येक सितंबर का पहला शनिवार) मनाया जा रहा है।

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