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उदयपुर। सरकारी बैंकों के प्राइवेटाइजेशन और बैंकिंग लॉ अमेंडमेंट बिल 2021 के विरोध में 16 और 17 दिसम्बर को सभी सरकारी बैंकों में हड़ताल रहेगी। इसके चलते बैंकों में किसी भी किस्म का काम नहीं होगा। यूनाइटेड फॉरम ऑफ बैंक यूनियन की ओर से बैंकों की यह स्ट्राइक कॉल की गई है। इसमें बैंकों की 9 में से 7 यूनियन ने इस हड़ताल का सहयोग किया है। ऐसे में इसका असर अगले दो दिन राजस्थान सहित पूरे देश की बैंकिंग पर देखने को मिलेगा। बैंकिंग से जुड़ा कोई भी जरूरी काम इन दो दिन में नहीं हो सकेगा।
मार्च में भी प्राइवेटाइजेशन के विरोध में हुई थी हड़ताल
बैंकों की हड़ताल में देश के 12 सरकारी और उनसे जुड़े बैंकों के लगभग 10 लाख और राजस्थान के 25 हजार से ज्यादा बैंक कर्मचारी शामिल होंगे। सिर्फ दो छोटी यूनियन को छोड़ सभी यूनियनों का इस हड़ताल को समर्थन है। इसके चलते लगभग देश के सभी बैंकों की लगभग 98 प्रतिशत ब्रांच दो दिन बंद रहेंगी। राजस्थान में 6 हजार से ज्यादा शाखाओं पर इसका असर देखने को मिलेगा। इससे पहले इसी साल प्राइवेटाइजेशन के विरोध में 16 और 17 मार्च को बैंकों की हड़ताल हुई थी।
प्राइवेटाइजेशन से सेवा शर्तों में बदलाव होगा : विनिल सक्सेना
नेशनल कन्फ्रेडेशन ऑफ बैंक एम्पलाइॅज यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष विनिल सक्सेना का कहना है कि 1969 में जब नेशनललाइजेशन हुआ था तब ये था कि बैंक गांव-ढाणी तक जाकर सेवा कर सकें। अब इतने समय बाद वापस प्राइवेटाइजेशन की तरफ जा रहे हैं। सरकार की चाहे जन-धन योजना हो, प्रधानमंत्री बीमा योजना या नोटबंदी। सभी में में नेशनलाइज्ड बैंकों का योगदान ही अहम रहा है। हमेशा सरकारी बैंक ही सोशल सेक्टर में काम करते हैं। अगर सेठों के पास चला जाएगा तो इससे सेवा शर्तों में बदलाव आएगा, यूनियन में कुठाराघात होगा।

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