जयपुर, खान मंत्री प्रमोद भाया ने शुक्रवार को विधानसभा में कहा कि राज्य सरकार द्वारा हमेशा अवैध खनन माफियाओं एवं आदतन अपराधियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाती है।
भाया ने प्रश्नकाल के दौरान इस संबंध में सदस्यों द्वारा पूछे गये पूरक प्रश्नों के जवाब में बताया कि यदि जाने- अनजाने में किसी के द्वारा खनन कर लिया जाता है और यह अवैध खनन की श्रेणी में आ जाता है तो जुर्माना फीस लेकर उसे रेगुलराइज कर दिया जाता है। ताकि अपराधी तो दण्डित हो लेकिन सामान्य जन दण्डित न हो।
उन्होंने कहा कि कई बार पट्टेदारी द्वारा भी समीप की जमीन में खुदाई कर ली जाती है तो वह भी अवैध खनन की श्रेणी में आता है। ऐसे लोगों पर रायल्टी का 10 प्रतिशत पेनल्टी लगाकर नियमानुसार वसूली की जाती है और वाहन भी जब्त किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि अपराधियों में डर बना रहे इसके लिए प्रकरण के आधार पर एफआईआर दर्ज करने का निर्णय लिया जाता है।
खान मंत्री ने कहा कि अवैध खनन के संबंध में सरकार चिंतित है और इसकी रोकथाम के लिए समय- समय पर जिला प्रशासन एवं विभिन्न संबंधित विभागों के साथ मिलकर विशेष अभियान चलाए गये हैं। इस संबंध में कई कार्मिकों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई है। उन्होंने बताया कि दोषियों को 16 सीसीए एवं 17 सीसीए की निर्धारित प्रक्रिया के तहत कारण बताओ नोटिस जारी कर सुनवाई का अवसर देना और आरोप तय किए जाकर विस्तृत जांच की जाती है। इस प्रक्रिया में समय लगता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार की दोषी को फायदा देकर छोड़ने की कोई मंशा नहीं है।
उन्होंने सदन को अवगत कराया कि कोटा और बूंदी जिले में गंगाधर मीणा, फोरमैन प्रभुलाल के विरुद्ध जांच कर चेतावनी पत्र जारी किए गये। इसी तरह कोटा प्रकरण में अतिरिक्त निदेशक दीपक तंवर, खनिज अभियंता प्रताप सिंह मीणा, सहायक खनिज अभियंता सोहन लाल रैगर और वरिष्ठ सहायक योगेश भट्ट जांच की भी कार्यवाही प्रारंभ की गई जो प्रक्रियाधीन है।
इससे पहले खान मंत्री ने विधायक श्री संदीप शर्मा के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में बताया कि प्रदेश में जनवरी, 2020 से जनवरी, 2022 तक की अवधि में खान विभाग द्वारा 1303 तथा वन विभाग द्वारा 3565 मामले अवैध खनन के दर्ज किये गये। उन्होंने इसका जिलेवार संख्या का विवरण सदन के पटल पर रखा।
उन्होंने बताया कि कोटा व बूंदी जिले में वर्ष 2018-19, वर्ष 2019-20, वर्ष 2020-21 एवं वर्ष 2021-22 में खान विभाग द्वारा अवैध खनन के 136 मामले पकड़े गये एवं दोनों जिलों में वन विभाग द्वारा गत तीन वर्षों में 735 मामले पकड़े गये। उन्होंने इस संबंध में की गई कार्यवाही का विवरण सदन के पटल पर रखा।