बीकानेर,शिक्षा विभागीय कर्मचारी संघ राजस्थान बीकानेर के प्रदेशाध्यक्ष कमल नारायण आचार्य के नेतृत्व में प्रतिनिधी ने बीकानेर प्रवास पर आए शिक्षा सचिव श्री नवीन जैन से मुलाकात कर डीपीसी हेतु ज्ञापन सौंपा जिसमें तीन संतान ,1986 में चयनित कार्मिकों व स्थायी कार्मिकों की डीपीसी कर पदोन्नति एवं पदस्थापन की पुरजोर मांग की गई है।
प्रदेशाध्यक्ष ने बताया कि पत्र में लिखा है कि –
संगठन द्वारा कई बार आप महोदय को पत्र दिये जा चुके हैं एवं धरना प्रदर्शन भी किया जा चुका है इसके उपरान्त भी आज दिनांक तक तीनों ही प्रकरणों में डीपीसी व पदौन्नति में कुछ कार्मिकों द्वारा जानबूझकर लेट लतीफ की जा रही है इस सम्बन्ध में आज से कुछ समय पहले उन्हीं कार्मिकों द्वारा बताया गया था कि इस सम्बन्ध में फाईल निदेशक महोदय को प्रस्तुत की जा चुकी है लेकिन निदेशक महोदय द्वारा फाईल नहीं निकाली गई है। इस कारण से पदौन्नतियां करने में लेट हो रही है। लेकिन उन्हीं कार्मिकों द्वारा आप महोदय चुनाव ड्यूटी में होने के बावजूद कार्मिकों को गुमराह करते हुए एवं आपको बदनाम करते हुए अब श्रीमान अतिरिक्त निदेशक महोदय से तीन संतान के कार्मिकों को छांयापद पर पदौन्नति देने के लिए संयुक्त निदेशक एवं जिला शिक्षा अधिकारियों को डीपीसी करने के लिए पत्र भिजवाया गया है।
श्रीमान जी डीपीसी अनुभाग में कुछ कार्मिक ऐसे हैं जो अपने ही विभाग के अधिकारियों को बदनाम कर रहे हैं एवं निदेशालय की साख को दाव पर लगाया जा रहा है जबकि इससे पूर्व प्रधानाचार्यों की जो डीपीसी की गई थी उसमें कुछ कार्मिकों एवं अधिकारी की गलती के कारण से तत्कालीन श्रीमान निदेशक महोदय गौरव अग्रवाल साहब को एपीओ किया गया था। जबकि अनुभाग में बैठे जो कार्मिक डीपीसी कर रहे हैं उनके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए थी एवं जिस अधिकारी ने यह गलतियां की उनके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए थी लेकिन लालफिताशाही के दबाव में आई.ए.एस. गौरव अग्रवाल साहब को एपीओ किया गया था। आज भी 1986 में चयनित कार्मिकों का उच्च न्यायालय में पदौन्नति देने का प्रकरण चल रहा है एवं पदौन्नति के लिए निर्देश भी प्राप्त होने के बावजूद 1986 में चयनित कार्मिकों की पदौन्नतियां जानबूझकर नहीं की जा रही है जिसके कारण से न्यायालय में अवमाननावाद दायर होने पर किसी कर्मचारी एवं अधिकारी को वहां प्रस्तुत नहीं होना पड़ता हैं जबकि विभाग के मुखिया को होना पड़ता है। इस प्रकार से यह कार्मिक अपने अधिकारियों को न्यायालय तक भेज देते हैं।
श्रीमान जी तीन संतान व 86 में चयनित कार्मिकों व स्थायी कार्मिकों की डीपीसी तत्काल प्रभाव से करवाई जाये एवं 1986 में चयनित कार्मिकों के प्रकरण में निष्पक्ष जांच कराते हुए पदौन्नतियां करवाई जाये जिससे विभाग में किसी भी अधिकारी पर किसी कार्मिक या अधिकारी की गलती के कारण से विभाग के मुखिया को इसका दण्ड भुगतना पड़े जो विभाग के लिए एवं विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए अशोभनीय कृत्य है।
अतः श्रीमानजी से निवेदन है कि डीपीसी अनुभाग के अधिकारियों को निर्देशित करते हुए तीन संतान एवं 86 में चयनित कार्मिकों व स्थायी कार्मिकों की डीपीसी तीन दिन में करवाई जाये एवं जिन कार्मिकों द्वारा पदौन्नति में लेट लतीफ करके कर्मचारियों को आर्थिक नुकसान पहुंचाया जा रहा है उनको उस अनुभाग से हटाते हुए उनके खिलाफ अधिकारियों को एवं कर्मचारियों को गुमराह करने पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाये अन्यथा संगठन को मजबूर होकर धरना प्रदर्शन करना पड़ेगा ।
आचार्य ने बताया कि शिक्षा सचिव महोदय एवं अतिरिक्त निदेशक जिनके पास वर्तमान में शिक्षा निदेशक का चार्ज भी है दोनों अधिकारियों आश्वासन दिया है कि शीघ्र ही डीपीसी करवाई जाएगी।
आचार्य ने यह भी बताया कि शिक्षा सचिव महोदय श्री नवीन जैन को शाल ओढ़ाकर सम्मानित भी किया गया। प्रतिनिधी मंडल में कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष गिरजा शंकर आचार्य एवं राजेश पारीक सहित अन्य पदाधिकारी शामिल रहे।