बीकानेर,देश के ख्यातनाम साहित्यकार, रंगकर्मी, चिंतक एवं शिक्षाविद् लक्ष्मीनारायण रंगा की स्मृति में आयोजित तीन दिवसीय समारोह ‘सृजन सौरम-हमारे बाऊजी’ के तहत नागरी भण्डार स्थित नरेन्द्र सिंह ऑडिटोरियम में श्रीमती कमला देवी रंगा-लक्ष्मीनारायण रंगा ट्रस्ट एवं प्रज्ञालय संस्थान द्वारा प्रथम राज्य स्तरीय लक्ष्मीनारायण रंगा प्रज्ञा-सम्मान अर्पण समारोह का आयोजन किया गया।
राज्य स्तरीय प्रज्ञा-सम्मान समारोह की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यानुरागी एवं संस्कृतिकर्मी नंदकिशोर सोलंकी ने कहा कि स्व. लक्ष्मीनारायण रंगा की समृद्ध साहित्यिक एवं सांस्कृतिक परंपरा को जन-जन तक ले जाने के साथ खासतौर से नई पीढी को उनके विराट व्यक्तित्व और कृतित्व से प्रेरणा लेने हेतु यह राज्य स्तरीय प्रज्ञा-सम्मान अपने आप में नवाचार तो है ही, साथ ही बीकानेर के गौरव के क्षण भी हैं। सोलंकी ने आगे कहा कि स्व. रंगा साहित्यिक और सांस्कृतिक जगत के प्रकाश स्तंभ थे। जिन्होंने जीवन के अंतिम क्षणों तक साहित्यिक साधना की।
सम्मान समारोह मंे बतौर मुख्य वक्ता बोलते हुए देश के ख्यातनाम साहित्यकार-आलोचक मालचंद तिवाड़ी ने कहा कि हिन्दी और राजस्थानी साहित्य के साथ रंगमंच की सृजनात्मक उच्च उत्कंठा के साथ संपूर्ण साहित्य साधना को नव आयाम दिए। स्व. रंगा ऐसी विलक्षण प्रतिभा थी जिन्होंने मनुष्यता और रचनात्मकता को एकम-एक कर कई नवाचार किए।
तिवाड़ी ने आगे कहा कि स्व. रंगा प्रयोगधर्मी ऐसे सफल रचनाकार थे जिन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्वपूर्ण प्रसंगों को समकालीन संदर्भो में नई अर्थवत्ता प्रदान कर अपनी साहित्य विधाओं में उन्हें रचते हुए अपनी सृजनात्मक-संवेदनात्मक ऊर्जा से साहित्य और रंगमंच में महत्वपूर्ण अवदान दिया।
प्रारंभ में कमल रंगा ने सभी का स्वागत करते हुए अपने कीर्तिशेष पिताजी लक्ष्मीनारायण रंगा के व्यक्तित्व और कृतित्व से जुडे़ हुए अनछुए पहलू साझा करते हुए कहा कि स्व. रंगा साहित्य, रंगमंच एवं शिक्षा की त्रिमूर्ति थे।
राज्य स्तरीय लक्ष्मीनारायण रंगा प्रज्ञा-सम्मान से सम्मानित होने वाली साहित्य क्षेत्र की विभूति नोहर (हनुमानगढ़) के डॉ. भरत ओळा की समृद्ध साहित्यिक यात्रा को रेखांकित करते हुए उनके अभिनन्दन का वाचन डॉ. गौरीशंकर प्रजापत ने किया।
शिक्षा के क्षेत्र में प्रज्ञा-सम्मान से समादृत होने वाले शिक्षा क्षेत्र की समर्पित प्रतिभा डॉ. उमाकान्त गुप्त के शिक्षा और शोध के क्षेत्र में दिए गए उल्लेखनीय योगदान के साथ उनके नवाचारेां को रेखांकित करते हुए उनके अभिनन्दन का वाचन कासिम बीकानेरी ने किया।
रंगमंच के क्षेत्र में निष्ठावान रंगकर्मी प्रदीप भटनागर की लम्बी एवं समर्पित रंग साधना एवं रंग-निष्ठा का उल्लेख करते हुए उनके अभिनन्दन का वाचन रामसहाय हर्ष ने किया।
इस अवसर पर स्व. रंगा की 1947 से लेकर जीवनपर्यन्त रंग साधना जो बीकानेर से प्रारंभ होकर जयपुर तक और जयपुर से फिर बीकानेर तक की रचनात्मक रंग यात्रा को अपने महत्वपूर्ण पत्र का वाचन रंगकर्मी दयानंद शर्मा ने करते हुए उन्हें रंगमंच की आत्मा से साक्षात्कार करने वाला रंगकर्मी बताया।
राज्य स्तरीय प्रज्ञा-सम्मान जो कि साहित्य, शिक्षा एवं रंगकर्म के क्षेत्र में डॉ. भरत ओळा, डॉ. उमाकान्त गुप्त एवं प्रदीप भटनागर को समारोह के अध्यक्ष नंदकिशोर सोलंकी, समारेाह के मुख्य वक्ता मालचंद तिवाड़ी आयोजक संस्था के राजेश रंगा ने माला, श्रीफल, शॉल, अभिनन्दन-पत्र आदि अर्पित कर समादृत किया।
कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ उद्घोषक ज्योतिप्रकाश रंगा ने किया एवं सभी का आभार वरिष्ठ शिक्षाविद् राजेश रंगा ने ज्ञापित किया।
राज्य स्तरीय प्रज्ञा-सम्मान अर्पण समारेाह में प्रमिला गंगल, जाकिर अदीब, रामसहाय हर्ष, अशेाक जोशी, अभिषेक आनंद आचार्य, जेठमल व्यास, आत्माराम भाटी, शंभुदयाल व्यास, रमेश शर्मा, सुरेश पूनिया, दीपांशु पाण्डे, नवनीत व्यास, भैरूरतन रंगा, अविनाश व्यास, कैलाश चन्द्र माथुर, डॉ. अजय जोशी, गिरीराज पारीक, बी.एल. नवीन, शक्ति रतन रंगा, उमाशंकर व्यास, प्रमोद आचार्य, भंवरलाल रतावा, कृष्णचंद पुरोहित, भंवरलाल शर्मा, संगीता शर्मा, शिव दाधीच, अरूण व्यास, कैलाश टाक, कमल किशोर व्यास, डॉ. मोहम्मद फारूक चौहान, सुनील बोड़ा, महेश उपाध्याय, अमित आचार्य, प्रेम नारायण व्यास, विकास शर्मा, अशोक सैन, भवानी ंिसह, पुनीत कुमार रंगा, मनमोहन व्यास, पुरूषोत्तम जोशी, श्रीकांत व्यास, गोपाल गौत्तम, छगन सिंह, संतोष शर्मा, अशोक शर्मा, उमेश सिंह चौहान, मुकेश तंवर, आशीष रंगा आदि की गरिमामय साक्षी में साहित्य शिक्षा एवं रंगकर्म की तीन विभूतियों को लक्ष्मीनारायण रंगा राज्य स्तरीय प्रज्ञा-सम्मान अर्पित किया गया।