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बीकानेर। भारतीय जनता पार्टी शहर जिला बीकानेर ने राजस्थान सरकार से जल्द से जल्द बाजरे की फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू करने का निर्णय लेने की मांग की है ।

शहर भाजपा जिलाध्यक्ष अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा कि मरू प्रदेश राजस्थान में कुल कृषि भू-भाग के 68% क्षेत्र में किसान बाजरे की बुवाई करते हैं और यह फसल उनकी आजीविका का एकमात्र साधन है।

सिंह ने कहा कि कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 2020 में 39,42,600 हेक्टेयर तथा 2021 में 37,34,000 हेक्टेयर में बाजरे की बुवाई की गई तथा आगामी सप्ताह में मंडी में बाजरे की फसल आने लग जाएगी। कृषि विभाग के अनुमान के अनुसार 2021 में 43.64 लाख टन बाजरा मंडी में आएगा।

अब यह निर्णय राज्य सरकार को करना है कि वह 2250 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बाजरे को खरीद करे।

शहर भाजपा द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि केंद्र सरकार द्वारा सदन में दिए गए एक जवाब के अनुसार देश में 3 लाख 61 हजार 871 मीट्रिक टन बाजरा 778 करोड़ की राशि से 2150 रुपए प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा गया और अधिकांश हिस्सा हरियाणा, मध्य प्रदेश द्वारा खरीद किया गया परंतु देश में सर्वाधिक बाजरा उत्पादन करने वाले राजस्थान में सरकार ने एमएसपी पर एक दाना बाजरा भी नहीं खरीदा और यह 1200-1300 प्रति क्विंटल के हिसाब से बिका जिससे राजस्थान के किसानों को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। यही बाजरा अगर राज्य सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य 2150 में खरीदा जाता तो किसान को फायदा होता।

बयान में स्पष्ट किया गया है कि प्रति वर्ष बाजरा न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम कीमत पर बाजार में बिकता है और एमएसपी की तुलना में बाजार में यह 1200-1300 रुपए प्रति क्विंटल में बेचा जाता है।

इस वर्ष भी बाजार में आगामी 10 दिनों के अंदर बाजरा आ जाएगा और राज्य सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर क्रय करने को तैयार नहीं हैं जिससे किसानों को मजबूर होकर 1300-1400 रुपए प्रति क्विंटल में अपनी फसल को बेचना पड़ेगा जिससे राजस्थान के किसानों को फिर से लगभग 5000 करोड़ का नुकसान होगा।

जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों के एक शोध के अनुसार मोटे अनाजों में गेहूं, दाल, चावल से अधिक पौष्टिकता पाई जाती है और आयरन, कैल्शियम,फाइबर एवं प्रोटीन की अधिकता के कारण बाजरा, ज्वार, जौ आदि मोटे अनाज मनुष्य की इम्युनिटी को बढ़ाते हैं, ब्लड शुगर को मैनेज करने में सहायक होते हैं। इस संबंध में शोध का विश्लेषण फ्रंटियर इन न्यूट्रिशन जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासंघ ने ज्वार, बाजरा, रागी तथा मोटे अनाज के लिए वर्ष 2023 को “इंटरनेशनल ईयर आफ मिलेट्स” घोषित किया गया है। बाजरा अन्नदाताओं के लिए सोने के समान है।

वर्ष 2020- 21 की फसलों में केंद्र सरकार ने पहली बार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी जाने वाली 16 फसलों में राजस्थान के किसानों की मांग पर बाजरे को भी अधिसूचित किया और न्यूनतम समर्थन मूल्य 2150 प्रति क्विंटल तय किया तथा वर्ष 2021-22 में कृषि मूल्य आयोग की सिफारिशों के आधार पर देशभर में बाजरे के न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाकर 2250 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है।

जिलाध्यक्ष सिंह ने कहा कि यह दुर्भाग्य ही है कि राज्य सरकार ने चना, मसूर, मूंग, मूंगफली, कपास को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर क्रय किए जाने वाले प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजे परंतु धान, ज्वार, मक्का, बाजरा, जौ को एमएसपी पर खरीदे जाने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को नहीं भेजा जबकि केंद्र सरकार द्वारा नोटिफाइड 16 फसलों में बाजरा, मक्का, धान, जौ को अधिसूचित कर रखा है।

अब यह निर्णय राज्य सरकार को करना है कि राज्य सरकार बाजरा सहित मक्का, जौ, ज्वार, धान को एमएसपी पर खरीद करना चाहती है या नहीं। अकेले बाजरे का एमएसपी पर खरीद नहीं होने से प्रदेश के किसानों को 4146 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है तथा इस मांग को लेकर किसान भारतीय किसान संघ के झंडे तले आंदोलन कर रहे हैं।

राजस्थान की सरकार ने राजस्थान उच्च न्यायालय में किसान वेलफेयर सोसाइटी बनाम राज्य सरकार की रिट पिटिशन में शपथ पत्र देकर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बाजरा करने में असमर्थता जताई है ।

प्रदेश कार्यसमिति सदस्य और पूर्व जिलाध्यक्ष डॉ. सत्यप्रकाश आचार्य ने कहा कि राजस्थान सरकार एक तरफ तो केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए किसान हितैषी एतिहासिक कृषि सुधार बिलों का छद्म विरोध कर किसानों के पक्ष में खड़े होने की झूठी नौटंकी कर रही है वंही दूसरी और अपने ही राज्य में बाजरे और अन्य मोटे अनाज को एमएसपी पर खरीद करने में आनाकानी कर रही है जौ उनकी परस्पर विरोधाभासी नीति को दर्शाता है।

शहर भाजपा ने राज्य सरकार से अतिशीघ्र केंद्र सरकार द्वारा नोटिफाइड बाजरे की फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू करने की मांग की है।

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