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बीकानेर,राजस्थान भाजपा ने विधानसभा चुनाव 2023 की तैयारी शुरू कर दी है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा मई महीने में बीकानेर संभाग का दौरा करेंगे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा 10 और 11 मई को बीकानेर संभाग के दौरे पर रहेंगे।इस दौरान वे सूरतगढ़ में संगठनात्मक बैठक लेंगे और हनुमानगढ़ में भाजपा के नए जिला कार्यालय भवनों का ऑनलाइन लोकार्पण करेंगे। उल्लेखनीय है कि जेपी नड्डा ने 2 अप्रैल को सवाई माधोपुर जिले में एसटी मोर्चे के सम्मेलन को संबोधित किया था। राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 के अंत तक होने है लेकिन दोनों ही प्रमुख दलों कांग्रेस-भाजपा ने चुनावी तैयारी शुरू कर दी है।

बीएल संतोष ने दी थी भाजपा नेताओं को नसीहत

राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 के अंत तक होने है लेकिन दोनों ही प्रमुख दलों कांग्रेस-भाजपा ने चुनावी तैयारी शुरू कर दी है। कांग्रेस की कमान सीएम अशोक गहलोत ने संभाल रखी है। राजस्थान भाजपा में गुटबाजी चरम पर है। सीएम फेस को लेकर वसुंधरा और उनके विरोधी खेमें में खींचतान जारी है। हालांकि, भाजपा आलाकमान ने स्पष्ट कर दिया कि विधानसभा चुनाव पीएम मोदी के चेहरे पर ही लड़ा जाएगा। हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने राजधानी जयपुर का दौरा किया था। अपने प्रवास के दौरान बीएल संतोष ने पार्टी नेताओं को अनुशासन में रहने की नसीहत दी थी। बीएल संतोष ने स्पष्ट कहा था बेवजह की बयानबाजी से पार्टी को नुकसान होता है। पार्टी के वरिष्ठ नेता अनुशासन में रहकर ही बयान दे।

पूनिया ने कहा- मजबूती के लिए केंद्रीय नेताओं के दौरे

रविवार को भाजपा मुख्यालय में हुए पंचायती राज दिवस पर भाजयुमो के कार्यक्रम में शामिल हुए पूनिया ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वैचारिक और संगठनात्मक रूप से पार्टी को मजबूती देने के लिए केंद्रीय नेताओं के दौरे हो रहे हैं। इस दौरान सतीश पूनिया भाजयुमो के युवा जनप्रतिनिधि टाउन हॉल कार्यक्रम में शामिल हुए और गहलोत सरकार पर पंचायती राज संस्थाओं को कमजोर करने का आरोप लगाया।

सीएम फेस को लेकर भाजपा में गुटबाजी चरम

विधानसभा चुनाव 2023 से पहले प्रदेश भाजपा में गुटबाजी चरम पर है। सीएम फेस को लेकर खींचतान बीच जेपी नड्डा ता राजस्थान दौरा अहम माना जा रहा है। हालांकि, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने गुटबाजी से इंकार किया है। पूनिया ने गहलोत सरकार पर पंचायती राज संस्थाओं को कमजोर करने का आरोप लगाया है। महात्मा गांधी का ग्राम स्वराज्य और विकेंद्रीकरण के जरिए ग्राम पंचायतों को मजबूत बनाने का सपना था, लेकिन गहलोत के राज में पंचायत राज से जुड़ी योजनाएं ठप पड़ी हैं। जनप्रतिनिधियों के विकास निधि के पैसे का भी उपयोग होने में कई वर्ष लग जाते हैं।

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