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बीकानेर,श्रीडूंगरगढ़ के सोनियासर मीठियास बास में अनुसूचित जाति के एक व्यक्ति की हत्या के एक मामले में सुनवाई करते हुए न्यायालय एसटी/एसटी के न्यायिक अधिकारी विनोद कुमार वाजा ने सोमवार को अपना अंतिम फैसला सुनाया। न्यायिक अधिकारी एसटी/एसटी कोर्ट ने हत्या के इस मामले में आठ आरोपियों को अर्थदण्ड के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

प्रकरण अनुसार दिनांक 1 फरवरी 2006 को सोनियासर मीठिया बास, श्रीडूंगरगढ़ जिला बीकानेर के निवासी रामकरण, श्रवणराम और तीजा देवी मेघवाल पर आपसी रंजिश के चलते रेखाराम जेठाराम, डेलूराम, दीपाराम, धन्नाराम, चीमादेवी, ईमादेवी, मनोहरलाल, रतिराम, चतराराम, देवाराम, घासीराम व सीताराम ने गण्डासी, लाठी, बरछी, कुल्हाड़ी, जेई जैसे हथियारों से लैस होकर जानलेवा हमला कर दिया। इस जानलेवा हमले में श्रवणराम व तीजा देवी को गंभीर चोटें आई।

जिससे परिवादी रामकरण के शरीर पर गंभीर चोटे आने के कारण दौरान इलाज उसकी मृत्यु हो गयी व श्रवणराम व तीजादेवी के गंभीर चोटे आयीं, इनमें से श्रवणराम की उपचार के दौरान मृत्यु हो गई। उक्त मामले में संबंधित थाना पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए अभियुक्त के विरूद्ध न्यायालय में चालान प्रस्तुत किया गया।

उक्त मामले को लेकर न्यायालय में धारा 147, 148, 302,302/149, 149, 323, 323/149, 307, 325, 325/149 व 3 एससी/एसटी एक्ट का चार्ज मुल्जिमान के विरूद्ध लगाया गया। न्यायालय के समक्ष विशिष्ठ लोक अभियोजक कुंवर कुंदन व्यास ने अभियोजन पक्ष की तरफ से कुल 30 गवाहान के बयान करवाए तथा गंडासी, लाठी, बरछी हथियारों व मेडिकल रिपोर्ट व एफएसएल आदि को प्रदर्शित करवाया गया। वहीं दूसरी ओर बचाव पक्ष की ओर से तीन गवाह के बयान करवाये गये।

न्यायालय ने विशिष्ठ लोक अभियोजक कुंवर कुंदन व्यास द्वारा कराए गए गवाहान के बयानात व दस्तावेजात वजह सबूत, एफएसएल व हथियारों की रिर्पाेट व मौका रिपोर्ट के आधार पर सभी चार्ज को प्रमाणित माना और मुल्जिमान जेठाराम, डेलूराम, धन्नाराम, चीमादेवी, ईमादेवी, मनोहरलाल घासीराम व सीताराम को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनायी गई व अर्थदंड के रूप में दो हजार रुपए से दंडित किया गया है। हालांकि इस मामले में नामजद आरोपी रेखाराम, रतिराम, चतराराम, दीपाराम को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया है। दीपाराम की दौरान अन्वीक्षा मृत्यु हो जाने के कारण उसके विरूद्ध कार्यवाही ड्रॉप की गयी।

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