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बीकानेर, गोपेश्वर बस्ती स्थित माली समाज भवन में चल रही श्रीमद् भागवत कथा का रविवार को यज्ञ में पूर्णाहूति के साथ विराम हुआ। कथा सत्र के  अष्टम दिवस की कथा  कथावाचक मुरली मनोहर व्यास ने नीति की बात बताते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण नीति पर चलने वाले थे। नीति के बारे में उन्होंने कहा कि नीति आदर्श व्यक्ति जिन्दा करें या प्रशंसा करें, लक्ष्मी आये या चले जाये आज ही मृत्यु हो या चिरकाल पश्चात, किसी भी स्थिति में धैर्यशाली मनुष्य धर्म के मार्ग का त्याग नहीं करते हैं। श्रीमद भागवत कथा भी मनुष्यों को धर्म और न्याय के मार्ग पर चलने का सन्देश देती है। व्यास जी ने श्रीकृष्ण के कुंडिन पुर हुए गमन का वर्णन करते हुए प्रभु भन्न जन्म, स्यमंतक उपाख्यान कर्णन, मूर त भौमासुर वध वर्णन, श्रीकृष्ण की सन्तति वर्णन, अनिरुद्ध विवाह प्रसंग, उषा और अनिरुद्ध विवाह प्रसंग का उल्लेख किया । साथ ही कहा कि वृद्धावस्था, वार्धक्य आने पर यह शरीर जीर्ण हो जाता हैं, यह जरा मनुष्य के शरीर को किस प्रकार नष्ट करती है इसका उदाहरण देते हुए श्री व्यास ने साहित्य का  प्रसिद्ध श्लोक ‘एवं जरा हन्ति निर्विशेष स्मृतिं च रूपं च पराक्रम च’ यह वृद्धावस्था मनुष्य के स्मृति, रूप और पराक्रम को । समान रूप से नष्ट कर देती है अत: मनुष्य को इन पर घमंड न करके अपना ध्यान भगवान की भक्ति में लगाना चाहिए। श्री व्यास . ने भागवत् कथा का सार बताते हुए नीति का श्रेष्ठ श्लोक प्रसंगवश प्रस्तुत किया निन्दन्तु नीति निपुषा: यदि वा स्तुवन्तु। लक्ष्मी: समाविस्तु गच्छतु वा यथेष्टम् ॥” अद्यैव मरणमस्तु युगान्तरे वा एन्यायात् पथ: पदं न प्रविचलन्ति 11 अर्थात- श्रीमद्भागवत कथा की पूर्णावती की गई व यज्ञ किया गया।  कथा स्थल पर पंडित मुरली मनोहर व्यास एवं सत्संग समिति द्वारा स्टार प्रचारक एड गुरु राजकुमार जैन सौरभ जैन का कथा में उत्कृष्ट सहयोग करने पर सम्मान किया गया एवं आभार माना। सत्संग परिवार संस्थान के सौरभ जैन ने बताया कि सुरेशकुमार अग्रवाल, शिव जी, प्रभु दयाल, सुरेंद्र अग्रवाल, गणेश दास, आशीष, कमल  सोनी, गौरव अग्रवाल, सुनीता, प्रीति, संजय अग्रवाल, तुलसीराम आदि से सहयोग प्राप्त हुआ।

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