बीकानेर, साध्वीश्री मृगावती, सुरप्रिया व नित्योदया ने रांगड़ी चौक में 18 पाप कर्मों से बचने की विशेष प्रवचन माला में मंगलवार को कहा कि पांचों इंद्रियों व मन पर नियंत्रण रखकर ब्रह्मचर्य का पालन करने वाला आत्म शक्ति प्राप्त कर परमात्मा से जुड़ता है। असंयमित होकर कुशील का सेवन करने वाला पाप व नर्क गति प्राप्त करता है।
उन्होंने कहा कि भगवान महावीर के 8 वें पट्धर आचार्य स्थूलिभद्र मुनि के आदर्शों का स्मरण दिलाते हुए कहा कि उन्होंने स्पर्श इंद्रियों पर नियंत्रण रखकर 84 चौबीसी में परमपद प्राप्त किया। ब्रह्मचर्य भंग होने की गलती व पाप होने पर घोर प्रायश्चित व आत्मगलानी करते हुए दृढ़ संकल्प के साथ ब्रह््मचर्य की पालना करें। उन्होंने कहा कि ब्रह््म मतलब आत्मा तथा चर्य का तात्पर्य रमण करने वाला, स्वयं में रहने वाला ही आत्म व परमात्म तत्व को प्राप्त कर सकता है। जैन धर्म व दर्शन को आत्मसात करते हुए इंद्रियों के 23 विषयों व पापों का परित्याग करें तथा पापों के प्रति सावधान रहें।