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बीकानेर,साध्वीश्री मृगावती, सुरप्रिया व नित्योदया ने रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में 18 पाप कर्मों से बचने की विशेष प्रवचनमाला में शुक्रवार को कहा कि खान पान की वस्तुओं में भक्ष्य (खाने योग्य) अभक्ष्य (नहीं खाने लायक) का विवेक रखें। अभक्ष्य सामग्री के खाने व पीने से जीव हिंसा सहित अनेक तरह के पापों का बंधन होता है। अभक्ष्य सामग्री का स्वयं त्याग करते हुए दूसरों को भी अभक्ष्य खाद्य पदार्थ बनाने, सेवन नहीं करने के लिए प्रेरित करें। ,
उन्होंने कहा कि धार्मिक आयोजनों में अभक्ष्य सामग्री का उपयोग करने से धार्मिक क्रिया का फल निष्फल होता है तथा अनेक तरह के कर्मों का बंधन होता है। अभक्ष्य पांच प्रकार के होते है जिस पदार्थ के खाने से त्रस जीवों का घात हो जैसे बड़, पीपल, मांस, मदिरा, अमर्यादित भोजन, जिस पदार्थ के खाने-पीने से प्रमाद और आलस्य आता है, जैसे शराब,गांजा, भांग, बीयर आदि प्रमादवर्धक वर्धक, जमीकंद आदि बहुघातकारक, जो मनुष्य की प्रकृति के विरुद्ध हो जैसे खांसी में दही का सेवन, बुखार में घी का सेवन, हृदय रोग में घी और तेल का सेवन, डायबिटीज में शक्कर का सेवन, मोतीझरा बुखार में अन्न का सेवन व ब्लड प्रेशर में नमक का सेवन करना अनिष्टकारक है। जो सज्जन व सात्विक लोगों के सेवन के योग्य नहीं है, बाजार में मिलने वाली कई पैकिंग खाद्य सामग्री, डिब्बाबंद फ्रूट ज्यूस व अन्य सामग्री का उपयोग खाने में नहीं करें।
साध्वीवृंद ने कहा कि धार्मिक समारोह, शादी, सगाई व जन्म दिवस सहित विभिन्न आयोजनों में लोग अपने को बड़ा या धनवान दिखाने और भक्ष्य-अभक्ष्य की अविवेक व नासमझी के कारण अभक्ष्य सामग्री के अनेक तरह के पकवान बनाते है, इससे अनेक जीवों की हिंसा का कर्म बंधन बनाने वाले, खाने वालों को होता है। तामसिक व अभक्ष्य सामग्री के उपयोग से तन व मन दोनों खराब होते है। तन व मन के बिगड़ने पर व्यक्ति साधना, आराधना व भक्ति सही तरीके से नहीं कर पाता। उन्होंने कहा कि अपने बेहतर स्वास्थ्य के लिए, धार्मिक-आध्यात्मिक विचारांं को बढ़ाने के लिए सात्विक,शाकाहारी और जैनधर्म व दर्शन के अनुसार भक्ष्य भोजन सामग्री का उपयोग करें।
दादा गुरुदेव की पूजा आज
साध्वीश्री साध्वीश्री मृगावती, सुरप्रिया व नित्योदया के सान्निध्य में शनिवार को सुबह सवा नौ बजे गंगाशहर रोड पर पार्श्वचन्द्र सूरि दादाबाड़ी के सामने की गली में स्थित प्राचीन दादाबाड़ी में दादा गुरुदेव की भक्ति संगीत के साथ पूजा होगी। शनिवार को उपासरे में नियमित प्रवचन नहीं होगा।

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