बीकानेर,साध्वीश्री मृगावती, सुरप्रिया व नित्योदया ने रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में 18 पाप कर्मों से बचने की विशेष प्रवचनमाला में गुरुवार को कहा कि जाने अन्जाने में होने वाले नित्य पापों को स्वीकार करें। जैन धर्म व दर्शन को सर्वोपरि महत्व देते हुए पापों का प्रायश्चित के साथ पापों से बचने का प्रयास करें।
साध्वीवृंद ने कहा कि जिस कार्य के करने से लोक एवं परलोक में अनेक प्रकार के दुःख को सहन करना पड़ता है, निंदा एवं अपयश सहना करना पड़ता है, उसे पाप कहते है। जिस कार्य को सर्वत्र बुरा कहा जाता है वह पाप है। सबको यह याद रखना है कि पाप और पारा कभी नहीं पचता, मुख्य रूप से पाप के पांच आधार है हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील व परिग्रह। पापों के आवरण के कारण आत्मा का निर्मल, सिद्ध व शुभ स्वरूप प्रकट नहीं होता। आत्मा के सही स्वरूप् के प्रकट हुए बिना परमात्म प्राप्ति संभव नहीं है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में लोग सुबह से शाम तक अनेक प्रकार के पापों के बंधन को बांधते है, अज्ञानतावश पाप को अधिकार समझते है, लेकिन पाप को स्वीकार नहीं करते । हंस-हंस कर किए गए पापों, दुष्कर्मों व हिंसा का फल जीव को कष्ट के साथ रोते, बिलखते हुए निश्चित रूप से भुगतना पड़ता है। साध्वीवृंद ने सुप्रसिद्ध दार्शनिक सुकरात के एक प्रसंग को सुनाते हुए कहा कि आवश्यकता से अत्यधिक वस्तुओं का संग्रह करना परिग्रह पाप है। हर पाप के पीछे अंतरमन से पश्चाताप के भाव रखें ।
देवी पद्मावती का पूजन आज
जैन श्वेताम्बर तपागच्छ संघ की साध्वीश्री सौम्यप्रभा, सौम्य दर्शना, साध्वीश्री अक्षय व परमदर्शना के सान्निध्य में शुक्रवार को सुबह कोचरों के चौक के महिला उपासरे में होगा। देवी पद्मावती सुख, सम्पति व समृद्धि की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी का ही एक स्वरूप है। साध्वीवृंद के चातुर्मास के संयोजक कोचर फ्रेंड्स क्लब के सदस्य जितेन्द्र कोचर ने बताया कि साध्वी वृंद के सानिध्य में विधि विधान से देवी पद्मावती का पूजन भक्ति गीतों के साथ होगा।