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बीकानेर,जयपुर, साहित्य अकादेमी के सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित कला आलोचक, कवि डॉ. राजेश कुमार व्यास ने कहा कि अंग्रेजी भाषा और इससे जुड़ी मानसिकत गुलामी भारतीय कला दृष्टि पर गंभीर लेखन की सबसे बड़ी बाधा रही है। उन्होंने हिंदी में कला लेखन को अधिकतर सूचनात्मक बताते हुए कहा कि मौलिक दृष्टि से कलाओं पर विचारपरक लेखन जब-जब भी हुआ है, उसे पाठकों ने पंसद किया है।

डॉ. व्यास ललित कला अकादेमी द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव श्रृंखला में हिंदी दिवस पर आयोजित ‘भारतीय कला दृष्टि एवं हिंदी’ विषयक विशेष व्याख्यान में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने भारतीय कला दृष्टि की विशेषताओं को रेखांकित करते हुए आजादी आंदोलन और हिंदी में कला लेखन और इससे जुड़े इतिहास पर भी विस्तार से प्रकाश डाला।

डा. व्यास ने कहा कि महात्मा गांधी ने हिंदी के महत्व को समझते हुए ही स्व-भाषा की स्थापना पर अधिक जोर दिया था। उन्होंने कहा कि भारतीय कला की अतीत की समृद्ध परम्परा और गौरवमयी आधुनिकता इसलिए जन-जन तक नहीं पहुंची कि हमने हिंदी में लेखन को हीन समझते हुए अंग्रेजी में लेखन को अधिम महत्व दिया। उन्होंने भारतेन्दु का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने देशभर में भ्रमण कर हिंदी का प्रचार इसीलिए किया कि कला-संस्कृति के समृद्ध आत्म गौरव और स्वाभिमान को हिंदी की जड़े ही सींच सकती है। व्यास ने आजादी आंदोलन में भारतीय कला दृष्टि को व्याख्यायित करते हुए हिंदी से जुड़ी भारतीय संस्कृति पर भी गहराई से प्रकाश डाला।

इस अवसर पर पत्रकार एवं विचारक श्री प्रकाश चतुर्वेदी ने ंिहदी के गौरव के साथ उससे जुड़े स्वाभिमान को भी स्थापित किए जाने पर जोर दिया। ललित कला अकादेमी के सचि डॉ. रजनीष हर्ष और सुप्रसिद्ध कलाकार विनय शर्मा ने आभार जताया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में कलाकार, लेखक और गणमान्यजन उपस्थित थे।

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