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जयपुर /बीदासर( ओम दैया )। बीदासर मंगल प्रवेश पर आचार्य महाश्रमण ने कहा कि इस बार का मर्यादा महोत्सव अपने आप में विशेष है, लम्बे अन्तराल से 2014 गंगाशहर मर्यादा महोत्सव के बाद अब बृहद मर्यादा महोत्सव हो रहा है जिसमें इतने साधु – साध्वियों की उपस्थिति हो रही है मानो धर्मसंघ से मिलना हो रहा है।

आचार्यश्री मधवागणीजी जिन्हें वीतराग कल्प के रूप में जाना जाता है उनसे बीदासर जुड़ा हुआ है। साध्विप्रमुखा गुलाबजी, महासती मातुश्री छोगाजी, मातुश्री वंदना जी का प्रवास भी यहां रहा है। ऐसे ऐतिहासिक स्थान पर मर्यादा महोत्सव हेतु प्रविष्ठ हुए हैं, हमारा सौभाग्य है कि हमें ऐसा धर्मसंघ मिला है जिसमें सुरम्यता व शोभा है जिसे नंदनवन से नवाजा गया है। तेरापंथ धर्मसंघ में मर्यादाओं का विशेष महत्व है, मर्यादाएं हमारी रक्षा कवच है। हम मर्यादाओं का सम्मान करें, मर्यादाएं हमारी सुरक्षा करेगी। इस मर्यादा महोत्सव का सभी सम्यक लाभ ले, यही मंगलकामना। ज्ञात रहे इस बार का मर्यादा महोत्सव विशेष मर्यादा महोत्सव के अब तक के इतिहास में 158 मर्यादा महोत्सवों में बीदासर में अबकि बार 25 वां मर्यादा महोत्सव समायोजित होने जा रहा है जिसमें आचार्यश्री के सान्निध्य में 400 से अधिक साधु – साध्वी भाग ले रहे हैं।

शुक्रवार को धर्मसभा में स्वागत के क्रम में तेरापंथ सभा बीदासर अध्यक्ष अशोक बोथरा, मर्यादा महोत्सव व्यवस्था समिति अध्यक्ष कन्हैयालाल गिड़िया, स्वागताध्यक्ष भिखमचंद बैंगानी, तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष नवनीत बांठिया, तेरापंथ महिला मण्डल अध्यक्ष चन्दादेवी गिडिया, अणुव्रत समिति अध्यक्ष सम्पतमल बैद, विजयसिंह चोरडिया, रूपचंद दुगड़, नीता डागा ने विचार प्रस्तुत किये। तेरापंथ समाज बीदासर, तेरापंथ महिला मण्डल, तेरापंथ कन्या मण्डल ने गीत द्वारा शान्ति दूत का अभिनंदन किया। कार्यक्रम में मुनि धन्यकुमारजी, मुनि मुदितकुमारजी, समाधि केन्द्र व्यवस्थापिका साध्वी किर्तीयशाजी, साध्वी अमितप्रभाजी, साध्वी अनन्यप्रभाजी, साध्वी परामयशाजी ने भावाभिव्यक्ति दी। मुनि नमिकुमारजी ने 31 दिन की मासखमण तपस्या का आचार्यश्री से प्रत्याख्यान किया। व्यवस्था समिति महामंत्री महावीर दुगड़ ने संकल्पों का गुलदस्ता भेंटकर कर त्याग द्वारा शान्ति दूत का भव्य स्वागत किया।

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