Trending Now




बीकानेर,दक्षिण पश्चिमी कमान की स्थापना 15 अप्रैल 2005 को जयपुर में की गई और इसे लेफ्टिनेंट जनरल के. नागराज, पीवीएसएम, यूवाईएसएम, एडीसी, आर्मी कमांडर द्वारा 15 अगस्त 2005 को ऑपरेशनलाइज किया गया था। दक्षिण पश्चिमी कमान भारतीय सेना की सातवीं और सबसे युवा कमान है।

पिछले दो दशकों में दक्षिण पश्चिमी कमान ने व्यावसायिकता का एक उच्च मानदंड स्थापित किया है और ‘सर्वदा विजयी भव’ के आदर्श वाक्य के साथ पश्चिमी सीमाओं पर एक मजबूत पकड़ स्थापित की है और हर समय निर्णायक जीत हासिल करने के लिए परिचालन रूप से तैयार है।

लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ ने 01 नवंबर 2023 को दक्षिण पश्चिमी कमान की बागडोर संभाली जिसे सप्त शक्ति कमान के नाम से भी जाना जाता है। कमान ने अपना 20वां स्थापना दिवस 15 अप्रैल 2024 को मनाया। अपनी स्थापना के दो दशक पूरे होने पर, यह कमान राष्ट्र निर्माण और अपने आदर्श वाक्य के अनुरूप भारतीय सेना की अदम्य भावना और अटूट प्रतिबद्धता के प्रमाण के रूप में खड़ी है।

स्थापना दिवस पर प्रेरणा स्थल पर पुष्पांजलि समारोह का आयोजन किया गया और बहादुर सैनिकों को श्रद्धांजलि दी गई जिन्होंने देश की सेवा में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। यह आयोजन उस बहादुरी और निस्वार्थता की एक मार्मिक याद दिलाता है जो कमान के स्वभाव का मूल है।

दक्षिण पश्चिमी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, एवीएसएम, लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ ने सभी रैंकों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को शुभकामनाएं दीं। अपने संबोधन में उन्होंने सभी कर्मियों के अनुकरणीय समर्पण, साहस और बलिदान की सराहना की, जिसने कमान के झंडे को ऊंचा रखा है। उन्होंने आधुनिक युद्धक्षेत्र में गौरव हासिल करने के लिए आधुनिक तकनीक को आत्मसात करने और रणनीति में सुधार के लिए व्यावसायिकता तथा निरंतर विकास की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

दक्षिण पश्चिमी कमान ने ऑपरेशनल तैयारी, विशेष प्रशिक्षण और बुनियादी ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण प्रगति की है। कमान ने जरूरतमंद लोगों को मानवीय सहायता और आपदा राहत प्रदान करने में, प्राकृतिक आपदाओं पर तेजी से और कुशलता से प्रतिक्रिया देने की अपनी क्षमता का लगातार प्रदर्शन किया है। पूर्व सैनिकों और वीर नारियों का कल्याण, उनके योगदान का सम्मान और उनकी जरूरतों की देखभाल को सुनिश्चित करना कमान के लिए प्राथमिकता रही है।

सप्त शक्ति कमान भविष्य की ओर अग्रसर होते हुऐ, अपनी व्यावसायिकता और साहस के साथ नई चुनौतियों का सामना करने के अपने दृढ़ संकल्प पर खड़ा है जो की पिछले 20 वर्षों से इसकी पहचान रही है। कमांड ने अपने आदर्श वाक्य, ‘सर्वदा विजयी भव’ को अपनाना जारी रखा है, क्योंकि यह देश की अखंडता की रक्षा करता है और भारतीय सेना की स्थायी विरासत में योगदान देता है।

Author