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बीकानेर/101 वर्षीय मूलचंद जी कांटा (बरसलपुर) का निधन 25 मई 2022 को हो गया था! आज मूलचंद जी कांटा की श्रद्धांजलि सभा सिटी कोतवाली के सामने स्थित पार्क मैं रखी गई! मेड़ क्षत्रिय स्वर्णकार समाज एवं अन्य समाजों के विशिष्ट लोगों एवं जनमानस ने यहां पहुंचकर मूलचंद जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर स्वर्णकार समाज के समाजसेवी पहलवान महावीर कुमार सहदेव ने मूलचंद जी कांटा के जीवन पर प्रकाश डाला। सहदेव ने कहा कि मूलचंद जी ने अपने जीवन में कभी नशा नहीं लिया और लोगों को नशा नहीं करने की प्रेरणा हमेशा देते रहे और अपने स्वास्थ्य का भी वह हमेशा ख्याल रखते थे इसी वजह से वे 101 वर्ष की उम्र लेकर इस दुनिया को अलविदा कर गए। जब भी समाज परिवार में किसी बात को लेकर छोटी मोटी लड़ाई झगड़े हो जाया करते थे तो किसी को भी थाना कचहरी जाने की जरूरत नहीं थी क्योंकि मूलचंद जी अपने दिलो दिमाग से तुरंत मनमुटाव दूर कर संधि करवा देते थे। साठ के दशक में जब अस्पताले आदि इतनी नहीं हुआ करती थी उस वक्त मूलजी आयुर्वेदिक नुक्से लोगों को बता कर रोग भी दूर कर दिया करते थे। मूलचंद जी कांटा ने बहुत से कमजोर वर्ग के लोगों को उच्च स्तर पर भी पहुंचाया और कभी भी उन को कमजोर महसूस होने नहीं दिया एक विशेष कला थी। मूलचंद जी गणित और प्राचीन पढ़ाई के तो विशेषज्ञ ही थे,जो लोग आज केलकुलेटर एवं कंप्यूटर आदि का साहरा लेते है मूल जी को इन सब की जरूरत नहीं होती थी।मूलचंद जी ने अपने अंत समय तक बड़े-बड़े हिसाब कर आज के युवाओं को अचंभित कर देते थे। मूलजी धैर्य और दिमाग से काम करने वालों को ज्यादा महत्व देते थे और यही शिक्षा पर हर युवा वर्ग को देते थे। मूलचंद जी के द्वारा अपने जीवन में किए गए कार्यों को सदा ही समाज एवं आम व्यक्ति जो इन से जुड़ा था वह हमेशा याद रखेंगा। इस अवसर मूलचंद बामालवा,पूनमचंद ओझा,शंकर बृजवासी, मनोज भामा,जगदीश डांवर,मांगीलाल भामा,श्याम जी धूपड़, शंकर लाल जी कड़ेल, पूनम जी भामा, भैरू दान भामा, कैलाश जी डांवर,चुन्नीलाल जी भूण,जगदीश अगरोरीया, नैतिक धुपड़, डालचंद मौसुण यह उपस्थित रहे।

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