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बीकानेर के नोखा में पक्षियों के लिए घरौंदे बनाकर लगाए गए है। यहां वे अपना बसेरा तो बना ही सकेंगे, चुगने के लिए दाने की भी कोई कमी नहीं है। पक्षियों को तिनका-तिनका एकत्र करके घौंसला न बनाना पड़े, इसलिए मिट्‌टी के घरौंदे भी यहां रखे गए हैं। बीकानेर के नोखा में पक्षियों के लिए हर तरह की सुविधा मुहैया करवाने का ये प्रयास सामजसेवी नारायण जोशी का है।जिन्होंने घरौंदों की मुहिम नोखा में शुरुआत की। उनका मानना है कि पक्षियों को भी इंसानों की तरह जीने और रहने का हक है। ऐसे में उन्होंने कोरोना काल के बाद से ही पिछले दो सालों में घरौंदे वितरण शुरू कर दिया। इन घरोंदों में छोटे-छोटे स्पेस में पक्षी रह सकते हैं। घरौंदों डिजाइन भी लोगों में आकर्षण का केन्द्र है। नोखा में सभी समाजसेवी संस्थाओं ने करीब 5 हजार घरौंदे क्षेत्र में लगाए हैरेडीमेड घरौंदे भी आकर्षण का केंद्र कबूतरखाने तो बीकानेर में कई जगह बन गए हैं। लेकिन ये घरौंदे कुछ हटकर हैं। नोखा में हजारों की संख्या में मिट्‌टी के घरौंदे रखे गए हैं। गुल्लक की शेप में बने इन घरौंदों में पक्षियों के घुसने लायक स्पेस छोड़ा गया है। छोटी-छोटी चिड़ियाओं ने इनमें रहना शुरू कर दिया है। खास बात ये है कि चिड़िया आसानी से पहचान जाती है कि उसका घरौंदा कौन सा हैइनका रहा विशेष प्रयास नोखा में करीब 2 हजार घरौंदे साईं ग्रुप के माध्यम से लगाए गए हैं। इन घरौंदों में 2000 से ज्यादा पक्षी निवास कर सकते हैं। साईं ग्रुप सूरत के प्रयास और दानदाताओं के सहयोग से ये सब संभव हो पाया है। नोखा से बीकानेर भी 1500 घरौंदे भिजवाए गए है। ज्ञात रहे सांई ग्रुप सूरत ने कोरोना काल मे पशु, पक्षियों व मानव सेवा में बढ़चढ़ हिस्सा लिया व जरूरतमंदों का सहयोग किया।माही हैप्पी न्यू ईयर ग्रुप ने भी लगाए है घरौंदे ग्रुप के एसके झंवर ने बताया कि उनके ग्रुप ने भी सैंकड़ो घरौंदे लगाए थे व हर महीने करीब एक क्विंटल चुग्गा पक्षियों को डालते है। ये उनका विशेष तौर पर लुप्त हो चिड़ियों को बचाने का प्रयास है।

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