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बीकानेर,हिमाचल प्रदेश जैसे ठंडे और बर्फीले क्षेत्रों में उगने वाली मशरूम की फसल अब गर्म जलवायु में भी उगाई जा सकती है। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय ने पिछले साल इसका प्रयास किया था और यह सफल रहा।

अब विवि ने मशरूम का बीज तैयार करना भी शुरू कर दिया है जिसे स्पॉन कहा जाता है।

विश्वविद्यालय में ढींगरी किस्म का मशरूम केवल ट्रायल के लिए 10/15 वर्गफीट क्षेत्र में उगाया गया था। साल में एक क्विंटल मशरूम का उत्पादन होता था। बाजार में कीमत अधिक थी लेकिन विश्वविद्यालय ने इसे 100 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा। छोटी सी जगह में कृषि विवि में 10 हजार रुपए का मशरूम बेच दिया। हालांकि यह प्रयोग मशरूम की बिक्री के लिए नहीं किया गया। क्योंकि मशरूम ठंडे प्रदेशों में उगाया जाता है। उसके लिए आवश्यक निर्धारित तापमान बीकानेर सहित राजस्थान में केवल एक माह तक ही रहता है। इसलिए इसके बीज मरुस्थल में जीवित रह पाएंगे या नहीं।

प्रयोग यह देखने का था कि गर्म क्षेत्र में मशरूम उग पाएगा या नहीं। वैज्ञानिक कामयाब रहे, इसलिए इस साल मशरूम की वैरायटी बदली गई। बटन किस्म के पौधे इसी साल लगाए जाएंगे। ढींगरी मशरूम एक महीने में पक जाती है जबकि बटन मशरूम दो महीने में तैयार हो जाती है।

मशरूम हाई प्रोटीन फूड और इम्युनिटी बूस्टर है
शाकाहारियों के लिए मशरूम एक हाई प्रोटीन फूड है। मशरूम सभी के लिए इम्युनिटी बूस्टर फूड है। इसमें उच्च एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। बहुत सारे विटामिन और खनिज हैं। साथ ही इसमें प्रोटीन, बीटा कैरोटीन और ग्लूकन जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व होते हैं जो कभी-कभी अन्य खाद्य पदार्थों में नहीं पाए जाते हैं। इसलिए यह हड्डियों से संबंधित रोगों से पीड़ित लोगों के लिए या असंतुलित हार्मोन से पीड़ित बच्चों के लिए और मधुमेह और हृदय रोगियों के लिए भी फायदेमंद है।

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