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बीकानेर, कृषि महाविद्यालय बीकानेर में ‘ग्रामीण युवाओं को उद्यमिता से जोड़ने की दिशा में मशरूम उत्पादन’ विषय पर सात दिवसीय प्रशिक्षण का समापन कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस अवसर पर अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय डॉ आई सिंह ने कहा कि किसी भी उत्पादन क्षेत्र में चार मूलभूत आवश्यकताएं होती है- भूमि, श्रम, पूंजी व प्रबंधन। मशरुम उत्पादन में भूमि, श्रम की बहुत ज्यादा आवश्यकता नहीं होती है और पूंजी भी कम चाहिए, प्रबंधन मात्र से अच्छी आमदनी सुनिश्चित की जा सकती है। पूंजी के लिए भारत सरकार की मुद्रा स्कीम के तहत शिशु लोन जैसे आसान विकल्प भी मौजूद हैं। इसके अलावा प्रो. सिंह ने एंटरप्रेन्योरशिप की बारीकियां समझाई। निदेशक एवं प्रोफेसर डॉ दाताराम ने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि राष्ट्रीय उच्च शिक्षा परियोजना के अंतर्गत 26 फरवरी से 4 मार्च तक 76 प्रशिक्षित युवाओं जिसमें महिलाएं भी शामिल हैं को मशरूम उत्पादन, इनका मूल्य संवर्धन, विपणन आदि की जानकारी दी गई एवं स्थानीय मशरूम उद्यमी सही राम गोदारा से रूबरू मिलवाया गया। भूतपूर्व पीएचडी छात्र पवन कुमार ने सैद्धांतिक प्रायोगिक जानकारियां दी। आमजन की पोषण सुरक्षा हेतु उच्च गुणवत्तायुक्त प्रोटीन और किसानों की आमदनी बढ़ाने का काम करती है ‘मशरूम’ की खेती। पिछले सात दिनों में युवा ग्रामीण उद्यमीयों ने मशरूम उत्पादन, मार्केटिंग आदि का प्रशिक्षण प्राप्त किया। मशरूम में प्रोटीन के अलावा कई खनिज तत्व होने के कारण उत्तम आहार माना गया है।स्थानीय स्तर पर बटर प्रजाति मशरूम की कीमत 200 से 250 रु प्रति किलोग्राम एवं ढिंगरी प्रजाति 100 से 150 रु प्रति किलोग्राम है। प्रशिक्षण के दौरान सेवानिवृत्त बैंक कर्मी, भूतपूर्व सैनिक, सहित बागवानी का कार्य देखने वाले पढ़ें लिखे युवाओं ने भाग लिया और विषय विशेषज्ञ डॉ अर्जुन यादव ने इनका व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर मशरूम उत्पादन में तकनीकी और व्यवहारिक समस्याओं के समाधान हेतु प्लेटफार्म बनाया ताकि प्रशिक्षण के बाद भी आप से जुड़े रहें और सफल उद्यमी बनकर क्षेत्र का नाम रोशन करें। प्रशिक्षण उपरांत सभी को प्रशस्ति पत्र वितरित किए गए।

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