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बीकानेर, स्वामी केशवानंद राजस्थान विश्वविद्यालय के मानव संसाधन विकास निदेशालय के सभागार में “विद्यार्थियों से पारस्परिक संवाद” कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में ‘कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड’ के अध्यक्ष डॉ ए. के. श्रीवास्तव और विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.आर.पी. सिंह ने संबोधित किया। एएसआरबी चेयरमैन डॉ ए.के.श्रीवास्तव ने कृषि संग्रहालय, खजूर फार्म, बेकरी यूनिट और मशरूम यूनिट का भ्रमण कर इनकी कार्यप्रणाली व विशेषताएं जानी और कृषि महाविद्यालय पहुंचकर कुलपति प्रो. आर.पी.सिंह के साथ “वर्चुअल क्लासरूम” का फीता काटकर उद्घाटन किया। इसके पश्चात सभागार में उपस्थित आईएबीएम, सामुदायिक विज्ञान और कृषि महाविद्यालय के विद्यार्थियों को संबोधित किया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.पी.सिंह ने स्वागत भाषण में विश्वविद्यालय की प्रगति एवं उपलब्धियों के साथ-साथ, शिक्षा, अनुसंधान व प्रसार के क्षेत्र में किए जा रहे हैं नवाचारों के बारे में बताया और कहा की आज उद्घाटन किए गए, वर्चुअल क्लासरूम जो की उच्च मशीनों व सुविधाओं से सुसज्जित है, से समस्त विद्यार्थियों और शिक्षकों को लाभ मिलेगा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में डॉ ए के श्रीवास्तव ने विभिन्न इकाइयों किए जा रहे कार्यों और विश्वविद्यालय के प्रयासों को सराहा। और कहा कि विगत 30 साल पहले मोनोक्रॉप सिस्टम था ताकि खाद्यान्न की आपूर्ति की जा सके और आज हमारा देश अनाज-अभाव वाली अवस्था से बढ़कर न केवल अनाज आत्मनिर्भर हो गया है बल्कि दूसरे देशों को निर्यात करने की स्थिति में है। अब समय है की मोनोक्रोप सिस्टम से हटकर आईएफएस सिस्टम को अपनाया जाये ताकि मृदा स्वास्थ्य में गिरावट को रोका जा सके आवश्यक माइक्रोन्यट्रिएंट्स की भरपाई की जा सके। विषैले तत्वों जैसे फ्लोराइड, आर्सेनिक आदि के कुप्रभावों के बारें बताते हुए भविष्य में फसल उत्पादन पर चर्चा की जिसमें जल अभाव और जनसंख्या वृद्धि के प्रभाव को रेखांकित किया। 87 प्रतिशत महिलाओं में आयरन की कमी है। डॉ श्रीवास्तव ने उपस्थित विद्यार्थियों को कहा कि वे कम से कम 10 माताओं को यह संदेश देंगे कि वे 1000 दिन (9 माह गर्भावस्था से) संतान को अच्छा पोषण देंगे। ताकि भविष्य मे सिंड्रोम एक्स का सामना ना करना पड़े। इसके अलावा विद्यार्थियों को ‘पोस्ट हार्वेस्ट लॉस’ के बारे में समझाया। डॉ श्रीवास्तव ने कहा की न्यूट्रिएंट्स की भरपाई एनिमल्स से होती है चाहे वे डेयरी, दूध, अंडा, मीट या किसी भी माध्यम से क्यों ना हो। इससे पोषण तो मिलता है लेकिन बीमारियों की आशंका भी बनी रहती है आजकल एनिमल ओरिजन बैक्टीरिया फैल रहे हैं इसलिए इनका किस तरह से उपयोग किया जाए कि बारे में चर्चा की। छात्रों को कहा कि वह गैरों की लहरों से समुद्र की लहरों से प्रेरणा लें जैसे लहर उठती और गिरती है वैसे ही जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहेंगे लेकिन प्रगति की दिशा में बढ़ते रहें। भ्रमण व सभागार कार्यक्रम में निदेशक डॉ पी एस शेखावत, नाहेप प्रभारी एवं अतिरिक्त निदेशक (बीज) डॉ एनके शर्मा, डॉ दाताराम, अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय बीकानेर डॉ आई पी सिंह, डॉ मधु शर्मा, डॉ पी के यादव, इंजी जे के गौड़, डॉ दीपाली धवन, ओएसडी इंजी विपिन लड्ढा, डॉ सीमा त्यागी सहित समस्त यूनिट प्रभारी एवं फ़ैकल्टी में मेंबर्स उपस्थित रहे। अंत में अधिष्ठाता डॉ विमला डुंकवाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया और कार्यक्रम का संचालन डॉ मंजू राठौड ने किया।

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