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बीकानेर,स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में जलवायु अनुकूलन एवं न्यूनीकरण के लिए कृषि में जैविक खेती की विधियां विषय पर आयोजित विंटर स्कूल मंगलवार को सम्पन्न हुआ। समापन समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में कुलपति डॉ. अरुण कुमार ने कहा कि बदलते जलवायु परिदृश्य में आर्गेनिक खेती की आवश्यकता और तकनीकी विषय पर आयोजित किए गए 21 दिवसीय विंटर स्कूल से प्रतिभागियों को आर्गेनिक फार्मिंग के नये पक्षों और व्यावहारिक अभ्यास का अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि इस विषय पर और अनुसंधान किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने जैविक खेती के दीर्घकालिक महत्व पर विस्तार से बात रखी।
विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख, आईसीएआर एनबीपीजीआर डॉ. पी. के. सिंह ने जैविक खेती के वैश्विक परिदृश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जैविक खेती से न केवल मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है, बल्कि इससे किसानों की आय में भी वृद्धि होती है। आज के समय में स्वस्थ भोजन और सतत कृषि के लिए जैविक खेती ही एक मात्र समाधान है। विश्वविद्यालय के वित्त नियंत्रक, पवन कस्वां ने कहा कि जैविक खेती किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के साथ-साथ पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में भी सहायक है। उन्होंने इस शीतकालीन विद्यालय आयोजन की सराहना की और इसे मील का पत्थर बताया। कृषि महाविद्यालय, बीकानेर के अधिष्ठाता डॉ पी के यादव ने प्रतिभागियों से प्राप्त ज्ञान को अपने-अपने क्षेत्रों में लागू करने की अपील की।
कोर्स निदेशक डॉ. विजय प्रकाश ने स्वागत उद्बोधन दिया। उन्होंने बताया कि विंटर स्कूल में प्रतिभागियों ने जैविक खेती, जलवायु अनुकूल कृषि तकनीकों और पारंपरिक कृषि पद्धतियों के बारे में विस्तार से जाना। जैविक खेती से किसानों की उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी और उनके उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पहचान मिलेगी। इस दौरान विंटर स्कूल के विभिन्न सत्रों का संकलन प्रकाशन का भी विमोचन किया गया।
कोर्स समन्वयक डॉ. वाई. के. सिंह ने बताया कि 19 फरवरी से 11 मार्च तक आयोजित विंटर स्कूल ट्रेनिंग में चार राज्यों से प्रशिक्षणार्थी शामिल हुए। प्रशिक्षण में 65 सत्र आयोजित किए गए। फील्ड ट्रेनिंग प्रोग्राम में 10 फील्ड विजिट, आर्गेनिक फार्मिंग और विश्विद्यालय द्वारा चलाए जा अनुसंधान का अवलोकन करवाया गया।इससे प्रतिभागियों को नई कृषि तकनीकों से परिचित होने का अवसर मिला है। उन्होंने धन्यवाद ज्ञापित किया।
शीतकालीन विद्यालय की समन्वयक डॉ. मनमीत कौर ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के उपाय भी सीखें और जैविक खेती अपनाने के लिए अन्यों को प्रेरित करें।
कार्यक्रम के अंत में कोर्स निदेशक ने सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए । समारोह में विश्वविद्यालय के अधिकारी, संकाय सदस्य और प्रतिभागी उपस्थित रहे।

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