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बीकानेर,कारगिल सहित सिंधु जल यात्रा के विभिन्न पड़ाव जय सिंधु मैया वंदे मातरम भारत माता की जय जय हिंद से गूंजते रहे। भारतीय सिंधु सभा के सदस्यों ने अपनी सिंधु माता के दर्शन किए । लगभग 270 यात्रियों ने सिंधु जल में स्नान करके अपना जीवन सफल किया। कारगिल सिंधु जल यात्रा निर्विघ्न होने की घोषणा करते हुए आयोजन प्रभारियों ने संपूर्ण सहयोग देने वाले कर्मठ कार्यकर्ताओं का आभार प्रकट किया । यात्रा के दौरान मात्र 12 दिन में चारों मौसम को पहली बार यात्रियों ने जिया। इस यात्रा में स्नोफॉल देखा । साथ ही दुनिया के सबसे शानदार रोमांचक दर्रे भी देखे। वक्ताओं ने सिंधु नदी दर्शन सिंधु लेह लद्दाख यात्रा की सफलता पर खुशी जताई और कहा कि सिंधुपुत्रों को ऐसे ही मिलते रहने के सुअवसर लगातार प्राप्त हों । सिंधियत जिंदा रहे । कार्यक्रमों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया गया कि यह एक कर्मठ, देश के प्रति समर्पित, राष्ट्र प्रेम से जीने वाला संगठन है। अपने 100 वर्ष पूर्ण करने वाले संगठन की सोच ही कुछ अलग है । संगठन का प्रत्येक सदस्य मेरी जिंदगी मेरी अपनी नहीं बल्कि मेरे अपनों के लिए है की भावना रखता है। वक्ताओं ने आह्वान किया कि जागो हिंदुओं अभी जागो अभी समय है वे अलग-अलग होकर भी एक है और हम एक होकर भी एक नहीं। इस यात्रा की शुरुआत शास्त्री जी की सोच से शुरू हुई। सच में सनातनियों को जगाना अपने धर्म की रक्षा करना है। अपने बच्चों को सिंधी भाषा सीखने के लिए प्रेरित करने की जरूरत भी बताई गई । मुख्य अतिथि का कहना था कि आज सिंधी सिंधु नदी के जल पावन जल को पीकर हम यह संकल्प लें कि हम अपने परिवार के साथ-साथ देश प्रेम के लिए जिएंगे तभी हमारी यात्रा सफल होगी । यह यात्रा मात्र मनोरंजन के लिए नहीं है बल्कि अपने मौजूद को पहचानने के लिए है। पावन सिंधु दर्शन यात्रा 2025 उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि चंद्रकांत जी ने बताया कि पिछले 29 वर्षों से लगातार पूरे भारत से श्रद्धालु यहां आते हैं और महोत्सव में शामिल होते हैं। धार्मिक और शासित यात्रा के साथ-साथ पर्यटन की दृष्टि से भी यह यात्रा अत्यंत सुखद रही। सेवादारों को भी सम्मानित किया गया ।बीकानेर संभाग के कर्मठ सेवादार और पत्रकार के कुमार आहूजा को भी दुपट्टा और मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया। अंत में एक और मुलाकात का वादा करने के साथ सभी यात्री जय सिंधु जय भारत वंदे मातरम जय हिंद के उद्घोष के साथ अपने-अपने नगरों की ओरर प्रस्थान कर गए ।

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