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बीकानेर,जिले के खारड़ा गांव के हरिराम बाबा मंदिर में पिछले सात दिनों से चल रही श्रीमद्भागवत कथा का समापन किया गया। कथा के अंतिम दिन व्यास ने कथा का सारांश कह जीवन को जीने की कला भी समझाई। उन्होंने कई उपदेशात्मक वृतांत सुनाकर भक्तों को निहाल भी किया।

श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन शुक्रवार को कथा वाचक सुनीता स्वामी ने सातों दिन की कथा का सारांश किया। उन्होंने बताया कि मनुष्य का जीवन कई योनियों के बाद मिलता है। इसे कैसे जीना चाहिए, यह भी समझाया।
कथा वाचक ने सूर्यदेव से सत्रजीत को उपहार स्वरूप मिली मणि का प्रसंग सुनाते हुए मणि के खो जाने पर जामवंत और श्रीकृष्ण के बीच 28 दिन तक चले युद्ध और फिर जामवंती, सत्यभामा समेत से श्रीकृष्ण सभी आठ विवाह की कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि कैसे प्रभु ने दुष्ट भौमासुर के पास बंदी बनी हुई 16 हजार 100 कन्याओं को मुक्त करवाया और उन्हें अपनी पटरानी बनाकर उन्हें मुक्ति दी। उन्होंने सुदामा चरित्र को विस्तार से सुनाया। कृष्ण और सुदामा की निश्छल मित्रता का वर्णन करते हुए बताया कि कैसे बिना याचना के कृष्ण ने गरीब सुदामा का उद्धार किया। मित्रता निभाते हुए सुदामा की स्थिति को सुधारा। गौ वध का विरोध और गौ सेवा करने पर भी जोर दिया। कथा समापन कार्यक्रम के बाद हवन और फिर प्रसाद वितरित किया गया। अंत में यजमान केदारमल सारस्वत ने कथा सुनने व सुनाने आये सभी लोगों का आभार जताया। पंडित राजेन्द्र जी ओझा
यज्ञ हवन के बाद यज्ञ यजमान
ताजूराम कड़वासरा के घर पर कथा वाचक और उनके साथ आई पूरी टीम और हवन यज्ञ में बैठे जोड़ो को भोजन आदि करवाया

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