पानदेवी मालू (89 ) ने उपवास से चार , सात व आठ की तपस्या अपने जीवनकाल में की थी। पिछले वर्षों से कैंसर की बीमारी थी जिसका उपचार चल रहा था। वो अपने पीछे किशोर – आरती , चैनरुप -संगीता ( पूत – पुत्रवधु ), वंशिका (पौत्री ) , उमंग , हितेश ( पौत्र ) छोड़ गयी है।
संथारा के समाचार सुकर अनेक लोग दर्शनार्थ उनके घर पहुंचे। तेरापंथी सभा के पदाधिकारी , कार्यकारिणी सदस्य वहां पहुंचे व धार्मिक गीतिकाओं का संगान किया ।साधु – साध्वियों का निरंतर उनके निवास स्थान पहुंचकर मगलपाठ व धर्म – ध्यान की बातें सुनाने का क्रम जारी रहा। उनके दर्शनार्थ आने वाले लोगो ने संथारे के उपलक्ष्य में संकल्प ग्रहण किये।
तेरापंथी सभा के उपाध्यक्ष पवन छाजेड़ ने बताया कि उनकी प्रयाण यात्रा रविवार सुबह 10 बजे पुरानी लेन मालू गली से प्रारम्भ होकर शान्तिनिकेतन, तेरापंथ भवन , महावीर चौक , मुख्यबाजार , सुजानदेसर रोड होते हुए पुरानी लेन स्थित ओसवाल शमशान गृह पहुंचेगी जहां उनके शरीर का अंतिम संस्कार जैन संस्कार विधि से करके पंचतत्व में विलीन किया जाएगा।