बीकानेर,साहित्यकार नदीम अहमद नदीम के उल्लेखनीय उपन्यास “इबादत” पर महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के शोधार्थी बिरदीचंद जाट ने लघु शोध प्रबंध “इबादत उपन्यास में आध्यात्मिक प्रेम और स्त्री संघर्ष” नामक विषय पर डॉ. ऐजाज़ अहमद क़ादरी के निर्देशन में पूर्ण किया!
उपन्यास “इबादत” जहाँ लुबना और नावेद की रूहानी इश्क़ की खूबसूरत कहानी बयां करता है तो मध्यवर्गीय मुस्लिम परिवेश की शिक्षित नायिका लुबना के जीवन संघर्ष को भी उपन्यासकार नदीम ने अपनी बहुत ही सधी हुई कलम से ना केवल लुबना के किरदार को बहुत ही तल्लीनता से गढ़ा । यही नहीं उपन्यास के हरेक किरदार जैसे नावेद, मुनीर आदि जितने भी है उनको कहानी के मुताबिक हक़ देते हुए उनके साथ पूरा-पूरा न्याय भी किया है तो उन्हें रचा भी बहुत तबीयत के साथ है जो उपन्यास को एक नयी दिशा भी देते हैं और उपन्यास को दिलकश फलक भी!
उपन्यास के अंतर्गत नदीम के इस नज़रिये को काबिल-ए-तारीफ़ कहा जा सकता है कि अपने कथानक में जिस अंदाज़ से जिस रूहानियत से अमृता-इमरोज़- साहिर के ख़तों का इस्तेमाल किया है वो बहुत ही दिलचस्प है!
गौरतलब है कि नदीम अहमद नदीम वैसे तो लघुकथा के सशक्त हस्ताक्षर हैं तथा तीन लघुकथा संग्रह सहित अनेक सम्पादित पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा अनेक प्रादेशित भाषाओं में उनकी रचनाओं का अनुवाद भी !उल्लेखनीय है कि नदीम का उपन्यास रूप में यह पहली कृति है और अपने पहले ही उपन्यास से आयाम रच दिए जो किसी भी रचनाधर्मी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण तथा सराहनीय कहा जा सकता है और सबसे महत्वपूर्ण कि अपने पहले उपन्यास से ही शोधार्थियों की पसंद बन जाए तो इसका श्रेय उम्दा लेखनी और सुदृढ कथा को जाता है!