बीकानेर,शहर के ज्वैलरी कारोबार जगत में असली हीरो की आड़ में नकली हीरो के कारोबार की चौंकानी वाली खबर सामने आई है। पता चला है कि मुंबई,सूरत समेत कई बड़े शहरों के जौहरी नकली हीरों से जुड़े इस कारोबार में शामिल है,जो असली हीरो की जगह नकली हीरें यानि लैब ग्रोन डायंमड की सौदागरी कर बीकानेर के डायमंड ज्वैलरी कारोबारियों ठगी कर है। इसका खुलासा अभी हाल ही में यहां कोतवाली इलाके में एसआर डायमंड टेस्टिंग सेंटर में लगी कम्प्यूटराइज मशीन से हुआ है। इस खुलासे के बाद बीकानेर के डायमंड ज्वैलरी जगत में हलचल सी मची हुई है। ऐसे में डायमंड ज्वैलरी की विश्वनियता पर भी सवाल खड़ा हो गया है। इस मामले की पड़ताल में पता चला है कि सही मायने में लैब ग्रोन डायमंड आर्टिफिशियल ज्वैलरी की जड़ाई में काम आता है जबकि असली डायमंड की जड़ाई सोने चांदी की बेस किमती ज्वैलरी में होती है। असली हीरे और लैब ग्रोन डायमंड की किमत में लाखों का अंतर होता है। लैब ग्रोन डायमंड की परख ज्वैलरी जगत के गहन पारखी जौहरी ही कर सकते है। ऐसे में बड़े महानगरों के कई कारोबारी बीकानेर में लैब ग्रोन डायमंड को असली डायमंड की किमत में बेच रहे है।
*क्वालिटी और चमक में दिन-रात का अंतर*
असली हीरे और लैब ग्रोन डायमंड की क्वालिटी और चमक में दिनरात का फर्क होता है,मगर इस चमक की परख सिर्फ गहन पारखी जौहरी ही कर सकते है। असली हीरा प्रकृति की अनुपम देन है जो खानों की खुदाई में निकलता है और तराशने के बाद उसकी चमक ब्रह्माण्ड के चमकीले ग्रहों की तरह होती है। लेकिन लैब ग्रोन डायमंड रासायनिक संरचना वाला उत्पाद होता है। इस बनाने की लैब में हीरे का बीज खास चेंबर में रखा जाता है। इसके बाद चेंबर में मीथेन गैस भरी जाती है। इसे 800 डिग्री सेल्सियस तक गर्म किया जाता है। इस प्रक्रिया में कार्बन (बीज) परमाणुओं में टूट कर क्रिस्टल पर जमा होते हैं। इसी से लैब ग्रोन डायमंड तैयार होता है। जिसे सीवीडी या एचपीएचटी कहते है।