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बीकानेर,नागरी भंडार के ऐतिहासिक प्रांगण में आज बसंत पंचमी और गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर स्थानीय श्री जुबली नागरी भंडार परिसर में शिवाजी आहूजा मधुप की प्रथम काव्य कृति विरह और बसंत का लोकार्पण वरिष्ठ साहित्यानुरागी नंदकिशोर सोलंकी, बैंक कर्मचारी नेता कॉमरेड वाई.के. शर्मा योगी, वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा, वरिष्ठ शायर क़ासिम बीकानेरी, युवा कवि गंगा विशन बिश्नोई ब्रह्मा, डॉ. विपिन आनंद, डॉ. भरत खत्री, डॉ हेम आहूजा, सुनील बांठिया, ओमप्रकाश भाटी, प्रवीण कुमार के आतिथ्य में भव्य लोकार्पण किया गया।
इस अवसर पर अपने विचार पेश करते हुए वरिष्ठ साहित्यानुरागी नंदकिशोर सोलंकी ने कहा कि शिवाजी आहूजा कॉलेज के ज़माने से कविताओं का सृजन करते रहे हैं।आप की कविताएं मानवीय यथार्थ की कविताएं हैं।
इस कड़ी में अपनी बात रखते हुए वरिष्ठ कवि कमल रंगा ने कहा कि शिवाजी आहुजा की कविताएं विरह और बसंत मानवीय चेतना और संवेदनाओं का सच्चा दस्तावेज है। वरिष्ठ शायर क़ासिम बीकानेरी ने कहा कि इनकी कविताओं में आम आवाम की पीड़ा भी रेखांकित होती है।
   इस अवसर पर बोलते हुए सभी अतिथियों ने कहा कि आहूजा ने बीकानेर में एक नवाचार करते हुए पिछले 55 सालों के कविता के संकलन को नए कलेवर के साथ फोटोजनक के रूप में प्रस्तुत कर ऐतिहासिक काव्य पहल की है। जिसकी तमाम मेहमानों ने भूरी भूरी प्रशंसा की। विमोचन समारोह का संचालन शायर क़ासिम बीकानेरी ने किया। सभी आगंतुकों का स्वागत कवि गंगाविशन बिश्नोई ब्रह्मा ने किया। आभार डॉ. हेम ओझा ने ज्ञापित किया

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