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बीकानेर,जयपुर,एकल पट्टा प्रकरण में यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल को 8 साल बाद क्लीन चिट मिल गई है। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए पूरे प्रकरण में मंत्री शांति धारीवाल को क्लीन चिट दी है। एकल पट्टा प्रकरण में जस्टिस नरेन्द्र सिंह की एकलपीठ ने यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल की भूमिका सामने नहीं आने के बाद ये निर्णय दिया हैं। जिसके बाद यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल को एकल पट्टा प्रकरण में राहत मिली है। मामले की सुनवाई करते हुए प्रोसेडिंग को भी खारिज कर दिया हैं। फैसले में कोर्ट ने ये भी स्पष्ट किया हैं कि शांति धारीवाल के विरुद्ध दर्ज एफआईआर में आपराधिक कार्रवाई को भी रद्द किया हैं।आपको बता दे कि कोर्ट ने एकल पट्टे में मंत्री शांति धारीवाल की भूमिका सामने नहीं आने के बाद ये आदेश जारी किए हैं। वहीं पुरे प्रकरण को लेकर यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल नें प्रेस नोट जारी कर कहा कि एफआईआर में मेरा नाम नहीं हैं लेकिन पुरे प्रकरण में फंसाया गया। आज कोर्ट से न्याय मिला हैं।

क्या है एकल पट्टा प्रकरण

पुर्ववर्ती गहलोत सरकार के कार्यकाल में गणपति कंस्ट्रक्शन के प्रोपराइटर को एकल पट्टा जारी करने को लेकर प्रतिवेदन दिया था। प्रतिवेदन पर मुख्यमंत्री कार्यालय ने पट्टा जारी करने के लिए फाईल को यूडीएच विभाग को भेजी। मुख्यमंत्री कार्यालय से मिले निर्देशों के बाद पूर्व नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने गणपति कंस्ट्रक्शन के प्रोपराइटर के नाम से एकल पट्टा जारी करने की स्वीकृति दी थी। एसीबी की जांच में सामने आया कि गणपति कंस्ट्रक्शन के प्रोपराइटर शैलेन्द्र गर्ग ने 25 जनवरी 2010 को सीएमओ में एकल पट्टा जारी करने के लिए प्रतिवेदन दिया था। इस संबंध में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देशों पर ओएसडी महेन्द्र सोनी ने यूडीएच के तत्कालीन एसीएस जीएस संधू के नाम गणपति कंस्ट्रक्शन कंपनी के शैलेन्द्र गर्ग के प्रतिवेदन का निस्तारण करने के लिए पत्रावली चलायी। इसके बाद जी.एस. संधू ने फाइल को आगे चला दी थी। जिसके बाद यूडीएच विभाग के अफसरो ने जोन उपायुक्त 10 को पट्टा जारी करने के लिए फाइल पर सहमति भेजी। इस बीच एकल पट्टे से जुडी फाइल एक बार भी तत्कालीन जेडीसी के पास नहीं गई और सरकार के स्तर पर ही फाइल चलती रही। एकल पट्टा जारी करने के लिए अंतिम बार फाइल तत्कालीन यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के पास गई। आपको बता दे की गणपति कंस्ट्रक्शन क प्रतिवेदन पर वर्ष 2005 में लगी रोक की जांच पड़ताल किए बगैर जी.एस. संधू ने फाईल को अप्रूवल करने के बाद ग्रुप हाउसिंग योजना के तहत कंपनी के प्रोपराइटर शैलेन्द्र गर्ग के नाम से पट्टा जारी करने की स्वीकृति दे दी। इस मामले में एसीबी की जांच में सहकारिता विभाग और तहसीलदार सहित दस अफसर-कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध मिली थी।

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