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बीकानेर,राजनीति नंगी हो गई है। बेशर्म नेताओं ने राजनीति की प्रतिष्ठा गंवा दी है। राजनीतिक दलों का व्यवहार जनता को चुभने लगा है। लोकतंत्र बेचारा हो गया है। अब तो जनता के हाथ में गर्त में जाती राजनीति की डोर बची है। अशोक गहलोत ने जो कहा उससे राजनीति के एथिक्स का पतन ही कहा जाएगा। जनता राजनेता और राजनीति का नंगा नाच देखकर हतप्रभ है। नाटकीय बयानों और घटनाक्रमों का यह सिलसिला मानेसर कांड के बाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। सचिन पायलट और गहलोत के बीच राजनीति प्रतिशोध की प्रतिक्रिया में राजस्थान की राजनीति को कलुषित कर दिया है। यह राजस्थान प्रदेश और राष्ट्रीय लोकतंत्र के लिए अच्छे संकेत नहीं है। गहलोत अमित शाह से अपनी पार्टी के सचिन पायलट गुट के विधायकों पर 10_ 10 करोड़ रुपए लौटाने का बयान कई सवाल खड़े करता है। इसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेदं प्रधान, जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को लपेटा गया है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, कैलाश मेघवाल, शोभा रानी पर टिप्पणी से जनता में नेताओं की साख गिरी ही है। वैसे भी राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा नेताओं के बीच गुटबाजी से प्रदेश में बने राजनीतिक माहौल से जनता ऊब चुकी है। अभी राजस्थान में चल रहे राजनीति एपिसोड से नि:संदेह जनता नेताओं पर थू थू ही कर रही है। इससे अशोक गहलोत जैसे नेता की साख को तो बट्टा लगा ही है। केंद्रीय मंत्री, वसुंधरा, सचिन पायलट जनता की नजरों में छोटे हो गए हैं। राष्ट्रीय राजनीति के जिम्मेदार नेता अमित शाह, अशोक गहलोत, वसुंधरा राजे समेत राजनीतिक दल भाजपा, कांग्रेस तथा लोकतंत्र के रखवालों देखो तो सही क्या हो रहा है? नेता नंगे होकर नाच रहे है। राजनीति दल और सरकारें तमाशबीन बनी हुई है। क्या धिक्कार नहीं ऐसे नेताओं और राजनीति करने वालों पर। जनता की जिम्मेदारी है गिरते राजनीतिक स्तर पर अंकुश लगाएं।

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