बीकानेर,वेटरनरी विश्वविद्यालय के सप्तम दीक्षांत समारोह में सोमवार को पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान के 665 छात्र-छात्राओं को उपाधियों और 26 को स्वर्ण पदक तथा 01 कुलाधिपति स्वर्ण, 1 रजत एवं 1 कांस्य पदक से अलंकृत किया गया। समारोह के प्रारम्भ में राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ने संविधान की प्रस्तावना और मूल कर्तव्यों का वाचन किया जिसे सभी प्रतिभागियों ने मन में दोहराया। माननीय राज्यपाल ने वेटरनरी विश्वविद्यालय, बीकानेर के सप्तम दीक्षान्त समारोह की सभी को बधाई दी और कहा कि गुरुकुल शिक्षा के समय जो समावर्तन संस्कार है, वही आज का दीक्षांत समारोह है। उन्होंने खुशी जताते हुए कहा कि देश की बेटियों न केवल शिक्षा के क्षेत्र में अपितु अन्य क्षेत्रों सेना, नेवी, एयरफोर्स, अन्य सेवाओं में निस्तर अपने आपको श्रेष्ठ साबित किया है। विश्वास है, आज जिन विद्यार्थियों को उपाधि एवं पदक प्राप्त हुए है वे अपने अर्जित झान के आधार पर पशुपालन, डेयरी और पशु चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में राष्ट्र और समाज को निरंतर महत्वपूर्ण सेवाएं देंगे। पशु चिकित्सा विज्ञान भी प्राचीन काल में हमारे यहां अत्यन्त विकसित रहा है। देश की निरंतर बढ़ती मानव जनसंख्या, घटती कृषि जोत एवं पानी तथा अन्य प्राकृतिक संसाधनों की कमी मानव समाज के लिए एक बड़ी चुनौती है। यद्यपि हम खाद्य सुरक्षा की दृष्टि से आत्मनिर्भर हो गये हैं परंतु बढ़ती अधिक जनसंख्या की स्थिति में पशुधन एवं पशुधन उत्पाद हमारे लिए, विशेषरूप से प्रदेश के लिए, वरदान साबित हो सकते है। मैं यह मानता हूं कि नवीन प्रौद्योगिकी के माध्यम से पशु-सम्पदा रोग निदान और उपचार के साथ-साथ उनकी उत्पादक क्षमता बढ़ाने के लिए अधिक से अधिक प्रयास किये जा रहे है ताकि प्रदेश पशुपालन में तेजी से आगे बढ़ सकेगा। पशुपालकों को हम वैज्ञानिक तरीके से पशुधन संरक्षण के लिए प्रेरित करें एवं समसामयिक माँग के अनुरूप विश्वविद्यालय में जैविक पशुपालन और अनुसंधान क्षेत्र के साथ-साथ प्रसंस्करण व उद्यमिता कौशल कार्यों का विकास होना चाहिए। इससे युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया जा सकेगा। समारोह के दीक्षांत अतिथि प्रो. नजीर अहमद गनई कुलपति, शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कश्मीर ने छात्रों को बधाई देते हुए कहा कि विद्यार्थियों की कड़ी मेहनत व ज्ञान से आज उपाधियां प्राप्त की हैं, मुझे विश्वास है कि आप सभी उत्तरोतर प्रगति के पथ पर अग्रसर होते रहेंगे। गाँवों का विकास कृषकों एवं पशुपालकों के विकास से ही संभव है तथा पशुपालकों की आय बढ़ाने से ही भारत की अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति का विकास संभव हो सकेगा। उन्होने हरित क्रांति का उदाहरण देते हुए कहा कि आजादी के उपरांत भारत में कृषि व पशुपालन का विकास बहुत तेजी से हुआ है। विगत 77 वर्षों में भारतवर्ष में दूध, मांस, अण्डे, अनाज व फलों का उत्पादन अत्यधिक बढ़ा है। यह अभूतपूर्व उपलब्धि देश में कृषि एवं अन्य विश्वविद्यालयों तथा आई.सी.ए. आर. के वैज्ञानिकों के सामुहिक योगदान को दर्शाती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति एन.ई.पी.-2020 के लागू होने से पशु चिकित्सकों व कृषि शिक्षा की गुणवत्ता में भी अपेक्षाकृत सुधार होंगे एवं कुशल तकनीक अपनाने से पशुपालन व कृषि के क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ेगी। भारतीय अर्थव्यवस्था में पशुधन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लगभग 20.5 मिलियन लोग अपनी आजीविका के लिए पशुधन पर निर्भर हैं। उन्होने विद्यार्थियों से कहा कि आपने यहां जो ज्ञान, समझ, मूल्य और तकनीकी योग्यता हासिल की है, वह आपको अपने जीवन में प्रदर्शन करने में सहायक होगी। उन्होने विद्याथियों को ध्येय बनाकर आगे बढ़ने एवं उद्यमीता अपनाने को प्रेरित किया।
कुलपति प्रो. सतीश के. गर्ग ने महामहिम राज्यपाल कलराज मिश्र, दीक्षांत अतिथि प्रो. नजीर अहमद गनई, प्रबंध मंडल एवं अकादमिक परिषद के सदस्यों, जनप्रतिनिधियों, विद्यार्थियों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस दीक्षांत समारोह के कुल 538 छात्र-छात्राओं को स्नातक, 106 को स्नातकोत्तर एवं 21 को विद्यावाचस्पति की उपाधि प्रदान की गई तथा 27 मेधावी छात्र-छात्राओं को विभिन्न पदकों से सम्मानित किया गया। कुलपति प्रो. गर्ग ने विश्वविद्यालय के प्रगति-प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया कि राजुवास बीकानेर सहित देश के अन्य प्रदेशो में पशुओं की देखभाल तथा ईलाज हेतु भारतवर्ष में सर्वाधिक मानव संसाधन उपलब्ध करवाने वाला विश्वविद्यालय है कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा उत्कृष्ट पशुचिकित्सा सेवा, विभिन्न शोध परियोजनाओं, प्रसार गतिविधियों, सामाजिक सरोकार के कार्य एवं पशुपालकों के लिए गांव ढाणियों तक प्रदान की जाने वाली प्रसार गतिविधियों की जानकारी प्रदान की। किसी भी संस्थान के लिए उसके छात्र ही उसके ब्रांड एम्बेसडर होते है। क्योंकि छात्रों की सफलता के साथ उस संस्थान को भी उनकी सफलता के साथ याद किया जाता है। विश्वविद्यालय के संघटक, राजकीय एवं निजी क्षेत्र के सम्बद्ध डिप्लोमा संस्थानों में वर्ष 2023-24 में 4261 छात्र अध्ययनरत है। विश्वविद्यालय के तीन संघटक महाविद्यालयों द्वारा टीचिंग क्लिनिकल कॉम्प्लेक्स में सृजित सुविधाओं के माध्यम से 30 हजार से अधिक पशुओं का ईलाज किया गया। संकाय सदस्यों एवं छात्रों द्वारा इस वर्ष कुल 267 शोध पत्र राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय जर्नलस में प्रकाशित किए गये। प्रसार गतिविधियों के तहत कुल 1 हजार से अधिक प्रशिक्षण आयोजित कर लगभग 26 हजार से अधिक पशुपालकों को लाभ प्रदान किया गया। कुलपति प्रो. गर्ग ने नवनियुक्त कुशल मानव संसाधन के माध्यम से शिक्षण अनुसंधान प्रसार गतिविधियों के सफलतापूर्वक निष्पादन की चर्चा की। कुलपति प्रो. गर्ग ने डिग्री एवं मेडल प्राप्त विद्यार्थियों को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
दीक्षांत समारोह के दौरान राज्यपाल के प्रमुख विशेषाधिकारी गोविन्द जायसवाल, विधायिका सिद्धि कुमारी, जिला कलेक्टर, नम्रता वृष्णि, जिला पुलिस अधिक्षक तेजस्विनी गौतम, कुलपति एस.के.आर.ए.यू. प्रो. अरूण कुमार, कुलपति एम.जी.एस.यू. प्रो. मनोज दीक्षित, मंजू गर्ग, अरूणा गहलोत, प्रबन्ध मंडल एवं अकादमिक परिषद के सदस्य, विश्वविद्यालय के सेवानिवृत शिक्षक एवं अधिकारी, विश्वविद्यालय के डीन-डायरेक्टर, शिक्षक, कर्मचारी, दीक्षांत विद्यार्थी एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। दीक्षांत समारोह को विश्वविद्यालय की वेबसाइट, फेसबुक पेज व यूटूयूब पर सीधा प्रसारित किया गया। समारोह के प्रारम्भ में 1 राज. आर. एण्ड वी. एन.सी.सी., बीकानेर द्वारा माननीय राज्यपाल एवं कुलाधिपति महोदय के आगमन पर गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। कुलाधिपति द्वारा नवनिर्मित अतिथि गृह में पाम का पौधा लगाया गया।
विभिन्न लोकार्पण एवं शिलान्यास
दीक्षांत समारोह से पूर्व शालिहोत्र अतिविशिष्ट अतिथि गृह का लोकार्पण माननीय राज्यपाल द्वारा किया गया समारोह के दौरान माननीय राज्यपाल एवं कुलाधिपति महोदय द्वारा डेयरी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, बीकानेर के “ए-ब्लॉक”, पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय, जोधपुर के “प्रशासनिक एवं अकादमिक भवन”, पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय, जोधपुर के “स्वामी विवेकानंद छात्रावास” एवं पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय, जोधपुर के “भगिनी निवेदिता छात्रावास” का वर्चुअल लोकार्पण किया गया इसके साथ ही पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय, बीकानेर के “प्लेटिनम जुबली महिला छात्रावास” और “प्लेटिनम जुबली अतिथि-गृह” का शिलान्यास किया गया।
विभिन्न प्रकाशनों का हुआ विमोचन
माननीय राज्यपाल एवं कुलाधिपति महोदय द्वारा “उद्देश्य, दृढ़ता और प्रगति- एक उल्लेखनीय यात्रा (2021-2024)” पुस्तिका, बकरी नस्ल “तोतापुरी” पुस्तिका, “विश्वविद्यालय वार्षिक रिपोर्टः 2023”, “सफलता की कहानीः पशुपालकों की जुबानी” पुस्तिका का विमोचन तथा वीडियों क्लिप: सी.वी.ए.एस., बीकानेर की 70 वर्षों की यात्रा” का प्रदर्शन किया गया इन प्रकाशनों के मुख्य संपादक प्रो. राजेश धूड़िया, प्रो. ए.पी. सिंह, प्रो. बसन्त बैस व डॉ. सुनीता पारिक थे। साथ ही सप्तम् दीक्षांत समारोह में प्रदान की गई समस्त उपाधियों को डिजी-लॉकर पर हस्तांतरित भी की गई।
स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी
स्नातकोत्तर शिक्षा में सर्वोत्कृष्ट प्रदर्शन करने पर शिवराज बिश्नोई को कुलाधिपति स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। स्नातकोत्तर शिक्षा में सुभाष दारीया, चित्रा सकरवाल, अर्चना चौधरी, दिव्या दरंगा, यशमिता शेखावत, नितिन शर्मा, तृप्ति भाटिया, प्रीतेश, अभिषेक मीना, पंकज कुमार, आकांक्षा शर्मा, विमला चौधरी, वर्षा चौधरी, ममता गर्जर, सुनिता रोलिनिया, देव किशन, संदिप बिस्सू, निवेदिता खिरिया और शिवराज बिश्नोई को स्वर्ण पदक से अलंकृत किया गया। विद्यावाचस्पति में अनिल हर्ष, पूष्पा लाम्बा, निष्ठा यादव, बाबू लाल कुमावत, प्रवीन बानो, राकेश मिश्रा को स्वर्ण पदक से अलंकृत किया गया। पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान स्नातक में पुनीत गोयल को स्वर्ण पदक अंकिता चौधरी को रजत पदक और अमोल सिंह को कांस्य पदक से अलंकृत किया गया।