नई दिल्ली,एक तरफ कांग्रेस को युवा ताकत से मजबूत करने की दिशा में बातें की जा रही है। कई बार राहुल गांधी से लेकर सोनिया गांधी तक युवा नेतृत्व बढाने को लेकर बयान और नसीहत दोनों दे चुके हैं लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर 80 वर्षीय बुजुर्ग वरिष्ठ कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के लिए कितना दमखम के साथ काम कर पाएंगे। घुटनों के ऑपरेशन के बाद उन्हें चलने फिरने में दिक्कत होती है, कई बार सिढियों पर भी सहारा लेकर चढना पड़ता है।
एक तरफ सोनिया गांधी उम्र और बीमारियों का हवाला देकर अब कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष जैसे पद की जिम्मेदारी संभालने में असहज महसूस कर रही हैं वहीं उसी स्थिति में मल्लिकार्जुन खड़गे भी हैं। ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के लिए नामांकन के आखिरी दिन कांग्रेस के सीनियर नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस पद के चुनाव के लिए नामांकन तो भर दिया। पर वो बुढी हो चुकी कांग्रेस में नई जान फूंकने और युवा जोश भरने में कितने कामयाब हो पाएंगे यह सबसे बड़ा सवाल है।हालांकि उनके सामने नामांकन भरने वाले शशि थरूर तो बागी जी 23 के नेता माने जाते हैं जबकि मल्लिकार्जुन खड़गे को गांधी परिवार का मिस्टर भरोसेमंद कहा जाता है। राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के बैकफुट पर आने से खड़गे की किस्मत खुल गई है। अब खड़गे की जीत तय मानी जा रही है। पर युवा नेताओं के मन में यही सवाल है कि आखिर 80 साल से ज्यादा उम्र के मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस को कितनी ताकत दे पाएंगे, जो कांग्रेस फिलहाल नेतृत्व की कमी से जूझ रही है।
मल्लिकार्जुन खड़गे की सेहत भी कांग्रेस के लिए चिंता का विषय हो सकती है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो जैसी यात्राओं में वो कितना चल पाएंगे और कितना समय दे पाएंगे यह सवाल सबके सामने है। बता दें कि एक तरफ उनकी उम्र 80 की है तो वहीं वह घुटने की सर्जरी भी करा चुके हैं। ऐसे में ज्यादातर उन्हें सीढ़ियां पकड़ के चढ़ना पड़ता है या फिर सहारे की जरूरत होती है। कांग्रेस में असंतोष रखने वाले जी 23 के नेता शुरू से ही फुल टाइम पार्टी अध्यक्ष की मांग उठाते रहे हैं ऐसे में खड़गे कितने उत्साह और दम के साथ पार्टी के फुल टाइम अध्यक्ष के सपने को साकार कर पाएंगे यह देखने वाली बात होगी।