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बीकानेर, राजस्थान दिवस के अवसर पर राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी तथा सूचना एवं जनसंपर्क कार्यालय द्वारा सूचना केन्द्र सभागार में ‘राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक परम्परा’ विषयक संगोष्ठी आयोजित की गई।
इसके मुख्य वक्ता वरिष्ठ कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी थे। उन्होंने कहा कि राजस्थान की सांस्कृतिक विविधता में एकता यहां की सबसे बड़ी खूबी है। प्रदेश का प्रत्येक क्षेत्र सांस्कृतिक रूप से समृद्ध एवं सम्पन्न है। यहां की परम्पराएं, जीवन शैली और खान-पान अपने आप में विशिष्ट है। प्रत्येक राजस्थानी को इस पर गर्व होना चाहिए।
सहायक निदेशक (जनसंपर्क) हरि शंकर आचार्य ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और इसे आगे बढ़ाने के सतत प्रयास किए जा रहे हैं। वहीं लोक कलाओं के संरक्षण की दिशा में भी काम हो रहा है। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है।
राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सचिव शरद केवलिया ने कहा कि प्रदेश में साहित्य का अकूत भंडार है। यह सांस्कृतिक विरासत को और अधिक समृद्ध करता है। उन्होंने कहा कि अकादमी द्वारा समय-समय पर विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से प्रदेश की सांस्कृतिक विशेषताओं को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।
सूचना केन्द्र की पाठक किरण बिश्नोई ने कहा कि सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने में महिलाओं की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है। हमारे तीज-त्यौहार, मेले-उत्सव और अन्य कार्यक्रमों के माध्यम से यह परम्पराएं एक से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचती है। सूचना केंद्र के सुखदेव रंगा ने आगंतुकों का आभार जताया।
इस दौरान चंद्रशेखर जोशी, मांगीलाल भद्रवाल, विष्णु शर्मा, शिवकुमार, संस्कृतिकर्मी कृष्णचंद्र पुरोहित, जनसंपर्क अधिकारी सतीश कुमार सोनी सहित जनसंपर्क कार्यालय एवं अकादमी के कार्मिक, पाठक आदि मौजूद रहे।

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