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बीकानेर,बुधवार को राजकीय डूंगर महाविद्यालय,बीकानेर में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य पर हिंदी, इतिहास और राजस्थानी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में मां, मातृभाषा और मातृभूमि का कोई विकल्प नहीं है। विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया सहआचार्य डॉ चंद्रशेखर कच्छावा ने सभी अतिथियों को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के प्रयोजन के बारे में बताया।

इस विचार गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में अपना उद्बोधन देते हुए महाविद्यालय के सह आचार्य डॉ विक्रमजीत सिंह ने मां, मातृभाषा और मातृभूमि से जुड़ी जानकारी को कईं उदाहरणों के साथ साझा किया और बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में प्राथमिक शिक्षा क्षेत्रीय भाषा में दिए जाने का प्रावधान है जो कि मातृभाषा के विकास में एक मील का पत्थर साबित होगा।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व प्राचार्य डॉ शालिनी मूलचंदानी ने बताया कि भाषा भावो से जुड़ी एक निधि है तथा भाषा का लोप संपूर्ण संस्कृति एवं परिवेश का लोप है। इन्होंने भाषा के संरक्षण परिवर्धन एवं संवर्धन का आह्वान किया ।

प्राचार्य डॉ इंद्रसिंह राजपुरोहित ने कहा कि मां, मातृभाषा और मातृभूमि के प्रति ऋण व्यक्ति जीवन पर्यंत नहीं चुका सकता है। उन्होंने आजीवन इनके प्रति कर्तव्य भाव रखने का आह्वान किया।

डॉ गौरीशंकर प्रजापत जी ने मातृभाषा राजस्थानी को जीवन के प्रत्येक क्षण में अपनाने हुए इसे बढ़ाने का निवेदन किया। उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समृद्ध एवं संपन्न भाषा है।

हिंदी विषय प्रभारी डॉ एजाज अहमद कादरी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

कार्यक्रम में सभी विभागों के संकाय सदस्य एवं बड़ी संख्या में महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संयोजन हिंदी के सहायक आचार्य डॉ निर्मल कुमार रांकावत ने किया।

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