बीकानेर,हिंदी दिवस कार्यक्रमों के तहत गुरुवार को राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय में ‘हिंदी और हम’ विषय पर संगोष्ठी आयोजित हुई।
इसके मुख्य वक्ता शिक्षाविद्-साहित्यकार डाॅ. उमाकांत गुप्त थे। उन्होंने कहा कि किसी भी देश की संस्कृति और इसकी ऊंचाईयों को जानना है, तो उसकी भाषा को जानें। उन्होंने कहा कि हिंदी, इस कसौटी पर खरी उतरती है। यह भाषा वैज्ञानिकता लिए हुए है। यह हमारी अस्मिता की पहचान है। उन्होंने कहा कि हिंदी धीरे-धीरे दुनिया की भाषा बनने की ओर अग्रसर है। आज दुनिया के लगभग प्रत्येक देश के विश्वविद्यालय में हिंदी को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है।
डाॅ. गुप्त ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में हिंदी की भूमिका, लेखनी सुधार, शब्दावली मजबूत करने सहित अन्य विषयों पर बात रखी। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को चाहिए कि वे समाचार पत्रों के सम्पादकीय पृष्ठ को पढ़ें, इससे भाषा विकसित होगी। चिंतन बढ़ेगा और शब्दकोष में वृद्धि होगी। इस दौरान राधेश्याम तर्ड और बाबूलाल मीणा ने विभिन्न प्रश्न रखें।
राजभाषा संपर्क अधिकारी हरि शंकर आचार्य ने कहा कि सरकारी कार्यालयों में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। उन्होंने राजभाषा के महत्व और इसकी उपयोगिता के बारे में बताया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पुस्तकालयाध्यक्ष विमल शर्मा ने कहा कि पुस्तकालय द्वारा पाठकों के लिए विभिन्न संवाद एवं गोष्ठियां आयोजित की जाती हैं। इनका उद्देश्य उनके बौद्धिक स्तर को बढ़ावा देना है। वहीं हिंदी के साहित्यकारों के व्यक्तित्व-कृतित्व आधारित कार्यक्रमों का आयोजन होता है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए गोपाल जोशी ने हिंदी दिवस और इसके महत्व के बारे में बताया। इस दौरान महेश पांड्या, परामर्शदाता रश्मि लाटा, इंद्र कुमार ओझा, केसरी सिंह भाटी, सत्यनारायण विश्नोई, शिवकरण चौधरी सहित वाचनलाय स्टाफ और पाठक मौजूद रहे।