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बीकानेर/सादूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टीट्यूट बीकानेर के तत्वावधान में विश्व विरासत दिवस के अवसर पर “हमारी विरासत हमारा गौरव” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन म्यूजियम परिसर स्थित इंस्टीट्यूट कार्यालय में किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के कोषाध्यक्ष एवं कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने की। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि संपादक व्यंगकार-सम्पादक डॉ. अजय जोशी थें तथा विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार रहे।

इस अवसर पर अध्यक्षीय उद्बोधन में राजेन्द्र जोशी ने कहा की विरासत को सहेजना वर्तमान पीढ़ी की जिम्मेदारी है, विरासत हमारे पुरखों की देन रही है जो उनके द्वारा हमें सौंपी गई उसे सहेजकर सुरक्षित रखने का काम हमारा होना चाहिए, जोशी ने कहा की सबसे बड़ी विरासत हमारी भाषा और संस्कृति की है जिसे अगली पीढ़ी को सुपुर्द करना यह सबसे महत्वपूर्ण होगा, जोशी ने कहा कि राजस्थानी भाषा को बचाए रखने के लिए जरूरी है कि संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान मिले। जोशी ने कहा उत्तर-पश्चिम राजस्थान में जहां हमारी लोक संस्कृति ,ऐतिहासिक हवेलियां, हमारे गांव, गांव की संस्कृति, पुरखों का आदर इस समय सबसे महत्वपूर्ण विरासत है इसे संजोए रखने का संकल्प विरासत दिवस के दिन लेना चाहिए।
प्रोफेसर डा. अजय जोशी ने कहा कि बीकानेर की हवेलियां हमारी महत्वपूर्ण विरासत है। बीकानेर को हजार हवेलियों का शहर माना जाता है।विरासत के रूप में हवेलियों को बचाना जरूरी है। हवेलियां निजी संपत्ति है। कानूनी रूप से निजी संपत्ति को बेचने या स्वरूप परिवर्तन से नहीं रोका जा सकता।यदि हवेलियों को बचाना है तो सरकार उनके स्वामियों को समुचित मुवावजा देकर उनकी सहमति से ही हवेलियों के पुरातन स्वरूप को संरक्षित रख सकती है।
विशिष्ट अतिथि राजाराम स्वर्णकार ने अपने उद्बोधन में कहा कि भावी पीढी को संस्कारित करने हेतु हमें हमारी विरासत को सहेजना पड़ेगा ताकि आने वाला भविष्य और सुंदर बने । विरासत केवल हवेलियां या पुरातत्व की वस्तुएं नही होती हमें हमारे बुजुर्गों की तरफ भी ध्यान देना होगा जिनके पास ज्ञान का अक्षुण्ण भंडार भरा पड़ा है, उन्हें सम्भालेंगे तो हमारी विरासत सुरक्षित रहेगी ।
युवा शोधार्थी डाॅ.नमामी शंकर आचार्य ने विचार रखते हुए कहा कि
समय के साथ देख रहे हैं कि बीकानेर में हवेलियां निरन्तर जर्जर हो रही है और साथ में अपने लाभ के लिए इन्हें तोङा भी जा रहा है। यह एक चिंतनीय विषय है। जहां हम एक ओर विरासतों को सहेजने की बात कर रहे हैं तो दूसरी तरफ अपने हाथों से हम इस संपदा को नष्ट कर रहे हैं। सरकार के साथ हमें भी इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है।
राजकीय पुस्तकालय के पुस्तकालयाध्यक्ष विमल शर्मा ने कहा की विरासत दिवस के दिन हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम विरासत को संजोने के साथ-साथ आगे की पीढ़ी को नई विरासत सौंपने का काम भी करेंगे।
संगोष्ठी में जोधपुर के शोधार्थी अम्बाराम सहित अनेक लोगो ने विचार व्यक्त किए। संगोष्ठी का संचालन आशीष किराडू ने किया।

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