बीकानेर,”मानव धर्म प्रचार सेवा संस्थान पारीक चौक एवं समाजसेवी हनुमान प्रसाद जी धामू नवरत्न रूपकिशोर शिवलाल कुलदीप धामु परिवार तत्वाधान में’ पर्यावरण संवर्धन संरक्षण हितार्थ “श्रीभागवत बासा भवन पारीक चौक में छठे दिवस की भागवत वाचन करते हुए बालसंत श्रीछैल विहारी ने गोवर्धन लीला प्रसंग,यज्ञ यजमान पत्नियों पर कृपा करने की कथा,ओर पंचाध्याई महाराष् प्रसंग, कंस का उद्धार, संदीपनी मुनि आश्रम में भगवान कृष्ण द्वारा शिक्षा प्राप्त करना।ओर 64 दिनों में 64 कलाएं सीखना। वहीं पर सुदामा से मित्रता होना। उद्धव गोपी संवाद,आदि प्रसंगों की विस्तृत व्याख्या की। बाल संत ने महारास प्रसंग की व्याख्या करते हुए बताया कि काम पर विजय प्राप्ति की लीला का नाम है महाराष् लीला प्रसंग। बालसंत ने कहा कि जीवात्मा और परमात्मा के बीच विशुद्ध मिलन की लीला का नाम है महाराष् लीला कथा। जो जीवात्मा को इंद्रियों पर संयम का संदेश देती है। कुछ अज्ञानी लोग महाराष् प्रसंग लीला कथा को भगवान के काम की लीला कहते हैं। यह उन प्राणियों के स्वंय अज्ञानता कि परिचायक मात्र है। क्योंकि भगवान की उस समय आयु केवल मात्र 7 वर्ष थी।ओर 7 वर्ष का बालक काम नहीं समझता।और समझे भी तो वह तो साक्षात भगवान ईश्वर कृष्ण है।जो संसार को संदेश देने के लिए अपनी लीलाओं द्वारा लोगों को ज्ञान का भान करवाने का संदेश देते थे। बालसंत ने कहा की भगवत भक्ति में भाव प्रधानता का संदेश प्रमुख रूप से बतलाया गया है।कि भगवान कि कृपा प्राप्ति मे रूप रंग जाति वर्ण विषेश का महत्व नही हे।अपितु जीवात्मा की भाव प्रधान भक्ति से ही परमात्मा की प्राप्ति हो सकती है। तत्पश्चात कथा प्रभारी मनु जी महाराज ने बताया कि भागवत सहयोगी के रुप मैं उद्योगपति समाजसेवी नवरत्न धामू ,रूपकिशोर,शिवलाल धामू,कुलदीप बॉबी मिस्त्री,जय लक्ष्मी मनोज कुमार कैलाश,मालचंद नितेश आसदेव कुणाल नंदिनी,
सीमा पुरोहित ,अपनी सेवा दे रहे हैं।