बीकानेर,केंद्रीय शुष्क बागवानी संस्थान के वैज्ञानिकों ने लो टनल तकनीक से सब्जी उत्पादन की सलाह दी है, जिससे किसान सब्जी फसलों को सीजन से पहले उगाकर अधिक लाभ कमा सकते हैं।
संस्थान निदेशक डॉ. डी.के. समादिया ने बताया कि यह कम लागत में अच्छा लाभ अर्जित करने की तकनीक है जो शुष्क क्षेत्र में सफल रहती है। लो टनल तकनीक से अधिक ठंड में भी सब्जियों की पौध सफलतापूर्वक तैयार की जा सकती है। इस विधि से पौध तैयार करने पर बीज का अंकुरण प्रतिशत अधिक होता है। इस विषय में कार्य कर रहे संस्थान के डॉ. बालूराम चौधरी एवं डॉ. अजय कुमार वर्मा ने इस संबंध में विभिन्न फसलों पर अनुसंधान किया है।
कर सकते हैं इन सब्जियों की खेती
इस तकनीक की सहायता से कद्दूवर्गीय सब्जियों (ककड़ी, टिंडा, खरबूजा, तरबूज, लौकी, तोरई, टिंडा, काचरी, फूट ककड़ी आदि) की अगेती खेती दिसम्बर में बीज की सीधी बुवाई टनल में करके सफलतापूर्वक की जा सकती है। कद्दूवर्गीय सब्जियों के बीज को प्लास्टिक प्रो-ट्रे में दिसम्बर-जनवरी माह में उगाकर अगेती/ बेमौसम खेती के लिए बीमारी रहित गुणवत्तायुक्त पौध तैयार कर सकते हैं।
अधिक सर्दी में टनल के अन्दर प्लास्टिक प्रो-ट्रे में टमाटर, बैंगन, मिर्च इत्यादि की विषाणुरहित, स्वस्थ्य व गुणवत्तायुक्त पौध आसानी से तैयार की जा सकती है। लो टनल तकनीक से बोई गई ककड़ी, लौकी, तोरई, खीरा, चप्पन कद्दू आदि की तुड़ाई मार्च माह के प्रथम सप्ताह से ही शुरू जाती है। तरबूज व खरबूजा की तुड़ाई मार्च माह के अंत में शुरू हो जाती है। इस प्रकार गर्म शुष्क क्षेत्रों में लो टनल तकनीक से कद्दूवर्गीय सब्जियों की खेती करने से इनका उत्पादन सामान्य दशा में बोई गई फसल से 40-50 दिन अगेता प्राप्त होता है।
ऐसे होती है तैयार
डॉ. चौधरी एवं डॉ. वर्मा ने बताया कि लो टनल तकनीक छोटे प्रकार की कम ऊंचाई वाली गुफानुमा संरक्षित संरचना है, जिसे मुख्य खेत में फसल की बुवाई के बाद प्रत्येक लाइन के ऊपर कम ऊंचाई पर प्लास्टिक की चादर से ढंक कर बनाया जाता है। मुख्य रूप से यह एक छोटा ग्रीन हाउस होता है जो कम लागत से आसानी से तैयार किया जा सकता है। टनल का निर्माण लोहे के सरिए या बांस तथा पॉलीथिन की शीट से किया जा सकता है। इन टनल में सब्जियों की बुवाई के बाद ड्रिप पद्धति से सिंचाई की जाती है। यह फसल को कम तापमान से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए बनाई जाती है। गर्म शुष्क क्षेत्रों व उत्तर भारत के मैदानी भागों में सब्जियों की बेमौसम खेती के लिए बहुत उपयोगी है, जहां सर्दी के मौसम में रात का तापमान लगभग दो माह तक 5 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे रहता है।