बीकानेर, कृषि विज्ञान केंद्र लूणकरनसर पर आज वार्षिक वैज्ञानिक सलाहकार समिति बैठक का आयोजन किया गया। कृषि विज्ञान केंद्र की कार्ययोजना को और अधिक प्रभावशाली और विज्ञान-संगत बनाने के उद्देश्य से इस बैठक का आयोजन किया गया। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलपति प्रो रक्षपाल सिंह ने बैठक की अध्यक्षता की। इस अवसर पर निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. सुभाष चंद्र, निदेशक अनुसंधान डॉ. पी. एस. शेखावत, संयुक्त निदेशक (कृषि) बीकानेर डॉ. उदय भान, अध्यक्ष क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, काजरी-बीकानेर डॉ. एन. डी. यादव, क्षेत्रीय अनुसंधान निदेशक डॉ. एस.आर. यादव तथा उपनिदेशक कृषि डाॅ कैलाश चौधरी भी उपस्थित रहे। साथ ही बैठक में नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक डॉ. रमेश ताम्बिया, शस्य ग्राह्य परीक्षण केन्द्र लूणकरनसर के डॉ. के के सिंह , परियोजना निदेशालय (आत्मा) के डॉ. राजूराम डोगीवाल उपस्थित थे। केंद्र के प्रगतिशील काश्तकार श्री जसविंदर सिंह और श्री श्रवण राम और महिला काश्तकार श्रीमती निर्मला देवी और केलम देवी भी इस बैठक में सम्मिलित हुए। केंद्र प्रभारी डॉ. मदन लाल रैगर ने केंद्र की गतिविधियों की जानकारी देते हुए गत वर्ष आयोजित की गयी सलाहकार समिति बैठक की कार्यवाही रिपोर्ट एवं वार्षिक प्रगति विवरण प्रस्तुत की तथा मृदा विशेषज्ञ डॉ. भगवत सिंह ने आगामी वार्षिक कार्ययोजना की विस्तृत जानकारी दी। अध्यक्ष प्रो रक्षपाल सिंह ने कृषि विज्ञान केंद्र पर किये जा रही गतिविधियों की प्रशंसा करते हुए किसान हित में और बेहतर कार्य करने को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र पर फलों और सब्ज़ियों कि पौध बनाने हेतु एक शेड-नेट का निर्माण शीघ्र करना चाहिए। साथ ही उन्होंने केंद्र पर स्थापित खरीफ फसल कैफेटेरिया में लगायी गयी मूंगफली की १०, मूंग की २०, ग्वार की १०, सोयाबीन की ०६, मोठ की ०५, बाजरा की ०७ तथा तिल की ०२ किस्मों के तीन रेप्लिकेशन की सराहना करते हुए कैफेटेरिया को निरंतर रूप से जारी रखने का सुझाव दिया। डॉ. सुभाष चंद्र ने सुझाव दिया कि उन्नत किस्म का बीज उत्पादन कर अधिक से अधिक किसानों तक पहुचाएं। संयुक्त निदेशक कृषि डॉ. उदय भान ने कृषि विज्ञान केंद्र को किसानों और वैज्ञानिकों के बीच की कड़ी बताते हुए कहा कि अधिक से अधिक नए किसानों से जुड़ने का प्रयास करें। अध्यक्ष क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, काजरी-बीकानेर डॉ. एन.डी.यादव जी ने बारानी क्षेत्रों में पशुपालकों के लिए सेवन और धामण घास को बढ़ावा देने को कहा। साथ में,उन्होंने किसानों से खेत की बाद में फलदार पौधे लगाने का भी आह्वान किया। डॉ. पी. एस. शेखावत ने केंद्र पर एक हर्बल वाटिका लगाने का सुझाव किया। नाबार्ड के डॉ रमेश ताम्बिया ने ड्रोन टेक्नोलॉजी पर किसानों के प्रशिक्षण का सुझाव दिया। अंत में सभी उपस्थित सदस्यों को डॉ सुभाष ने प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन केंद्र कि खाद्य एवं पोषण विशेषज्ञ डॉ. ऋचा पंत ने किया तथा बागवानी विशेषज्ञ डॉ. नवल किशोर ने सभी सदस्यों को धन्यवाद ज्ञापित कर कार्यक्रम का समापन किया।
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