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जयपुर। जैसे-जैसे नया साल शुरू हुआ वैसे-वैसे ही स्कूलों को लेकर विवाद एक बार फिर गहराता जा रहा है। एक और जहां बढ़ते कोरोना संक्रमण ने राज्य में दुबारा स्कूलों की ऑफलाइन कक्षाओं को बंद कर दिया वही दूसरी और निजी स्कूलों ने छात्रों की ऑनलाइन कक्षाएं बन्द कर एक फिर विवादों को जन्म दे दिया है। संयुक्त अभिभावक संघ कहना है की ” निजी स्कूल संचालक छात्रों के भविष्य को हथियार बना, उनकी पढ़ाई और परीक्षाओ को रोककर अभिभावकों को ब्लैकमेल कर रहे है। राज्य सरकार और प्रशासन को छात्र-छात्राओं की ऑनलाइन कक्षाएं और परीक्षा तत्काल शुरू करवानी चाहिए।

संयुक्त अभिभावक संघ के प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने आरोप लगाया है कि ” प्रदेश के निजी स्कूल शिक्षा के नाम पर व्यापार चला छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर अभिभावकों को खुलेआम ठग रहे है और ब्लैकमेल कर रहे है। ”

अभिषेक जैन बिट्टू का कहना है कि जयपुर ही नही बल्कि प्रदेशभर के निजी स्कूलों को लेकर शिकायतें प्राप्त हो रही है प्राप्त शिकायतों को राज्य सरकार और प्रशासन को भेजने के बावजूद कोई कार्यवाही नही हो रही है। सुप्रीम कोर्ट फीस को लेकर आदेश दे चुका है किंतु आज 9 महीनों बाद भी सुप्रीम कोर्ट की पालना ना करवाई जा रही है और ना ही स्कूल संचालक सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना कर रहे है। उसके बावजूद छात्रों की फीस के चलते कक्षाएं बन्द कर अभिभावकों और छात्रों को डराया जा रहा है दबाव बना मानसिक तनाव दिया जा रहा है। जो सरासर गलत है। गैरकानूनी है और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना है।

राज्य सरकार और शिक्षा विभाग निजी स्कूलों की कठपुतली -अरविंद अग्रवाल*

संघ प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि पिछले दो वर्षों से अभिभावक अपने अधिकारों की मांग को लेकर सड़क से लेकर कोर्ट तक के चक्कर काट आया, सुप्रीम कोर्ट ने फीस को लेकर आदेश भी दे दिये किन्तु आज दिनांक तक सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना नही हो पाई है। अभिभावकों की केवल सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना सुनिश्चित करवाने की मांग है इसके अतिरिक्त अभिभावक ना राहत मांग रहे है ना भीख मांग रहे है। किंतु राज्य सरकार और शिक्षा विभाग जिस तरह से कार्य कर रही है उससे साफ जाहिर होता है कि वह निजी स्कूलों के गहरे दबाव में है और स्कूलों के साथ-साथ खुद भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश की खुलेआम धज्जियां उड़ा रही है, राज्य सरकार के इस बर्ताव से झलकता है प्रदेश में कानून व्यवस्था बिल्कुल भी नही है हर जगह माफियाओ का राज है।

मेरे तीन बच्चे है जो राधा बाल भारती सीनियर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ते है, 1 नवम्बर से मेरे बच्चों की पढ़ाई रुकी हुई है, फीस जमा ना करवाने की स्थिति के चलते स्कूल से टीसी की डिमांड कर रहा हु, टीसी नही देनी की स्थिति में बच्चों को इंग्लिस मीडियम से हिंदी मीडियम में करने की भी मांग कर रहा हु। जब भी स्कूल जाते है स्कूल प्रशासन दुर्व्यवहार करते है, 1 नवम्बर को मेरे और बच्चों के साथ मारपीट की गई। साथ स्कूल प्रिंसिपल ने महिला होने का फायदा उठा मेरे खिलाफ थाने में परिवाद भी दर्ज करवा दिया। शिक्षा विभाग, अधिकारियों और मंत्रियों तक को पत्र लिख चुके है किन्तु कोई सुनवाई करने को तैयार नही है अब अगर मेरे पास इनकम ही नही बची तो में कैसे बच्चो की भारीभरकम फीस कहा स्व चुकाओ, जबकि में समय उपलब्ध करवाने की मांग कर रहा हु। ना समय दिया जा रहा है ना बात सुनी जा रही है और अब 3 महीनों से बच्चों की क्लास तक बंद कर दी गई है। जब स्कूलों ने पढ़ाई ही बंद कर दी है तो उतने समय की फीस हम क्यो चुकाए।

मनोज शर्मा, अभिभावक, कानोता*

मेरा बेटा सेंट टेरेसा स्कूल मानसरोवर में पढ़ता है, गुरुवार से उसकी मौखिक परीक्षा प्रारम्भ हुई थी फीस जमा ना होने के चलते स्कूल प्रशासन ने परीक्षा लेने से मना कर दिया। अध्यापिका ने स्पष्ट कहा जब तक फीस जमा नही होगी तब तक किसी भी परीक्षा में बैठने की अनुमति नही मिलेगी और ना ऑनलाइन व ऑफलाइन पढ़ाई करवाई जाएगी। यह सरासर कानून का उल्लंघन है सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि फीस के अभाव में पढ़ाई, परीक्षा नही रोकी जा सकती, शिक्षा विभाग ने भी आदेश जारी किए हुए है बावजूद इसके स्कूल संचालक बच्चो के भविष्य को हथियार बनाकर अभिभावकों के साथ खिलवाड़ कर खुलेआम ब्लैकमेल कर रहे है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश को 9 महीने हो चुके है किंतु आज तक स्कूलों ने कोर्ट के आदेश की पालना नही की है, फीस एक्ट 2016 ना लागू किया ना उसके संदर्भ में कोई जानकारी किसी भी अभिभावक को नही दे रहे है।

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