बीकानेर,सावन मास का अपना अलग ही आनन्द है। हर कोई अपने या अपनो के लिए शिव पूजा-अर्चना में लीन हो जाता है, ऐसा लगता है कि पूरा शहर शिवमय हो गया है। मन्दिरों, बगेचियों या घरों में सभी स्थानों पर शिव भक्ति की अलग ही छटा देखने को मिलती है।
इस छटा से भला मानेश्वर महादेव मन्दिर कैसे अछूता रह सकता है। नत्थुसर गेट के अन्दर स्थित भगवान शिव का प्राचीन मन्दिर मानेश्वर महादेव मन्दिर में पंडितों एवं महिलाओं द्वारा सवालाख पार्थिव शिवलिंगों का निर्माण किया जा रहा है। मानेश्वर महादेव मंदिर में पं. चंद्रशेखर श्रीमाली, पं. अमित ओझा एवं पं. प्रदीप श्रीमाली के सान्निध्य चल रहे इस सवालाख पार्थिव शिवलिंग अनुष्ठान का मूल उद्देश्य विश्व कल्याण एवं मनोवांछित मनोकामना पूर्ण हेतु किया जा रहा है।
पं. हनुमान श्रीमाली ने बताया कि शिव महापुराण में पार्थिव शिवलिंग का विशेष महत्त्व बताया गया है। इन शिवलिंगों को मनवांछित मनोकामना पूर्ण करने हेतु विशेष रूप से बनाया जाता है तथा दिनभर बने शिवलिंगों पर सायं कालीन रूद्राभिषेक एवं पूजा-अर्चना की जाती है।
संजय श्रीमाली के अनुसार पार्थिव शिवलिंग बनाने के लिए तीर्थ स्थल की मिट्टी उपयोंग मे ली जानी चाहिए इस हेतु कोलायत तालाब की पवित्र मिट्टी लाकर उसमें भस्म, गाय का गोबर, गंगाजल एवं घी आदि मिलाकर मिट्टी को तैयार किया जाता है तथा उससे अंगुल मात्र शिवलिंग बनाए जाते है।
मानेश्वर महादेव मन्दिर में के मुख्य पूजारी पं. चंद्रशेखर श्रीमाली ‘कालू महाराज’ ने बताया कि पूरे सावन मास में इन पार्थिव शिवलिंगों के निमार्ण किया जाएगा तथा इन शिवलिंगों का विसर्जन हरिद्वार में स्थित गंगा नदी में विधिविधान से किया जाएगा।
सवालाख पार्थिव षिवलिंग पं. चंद्रषेखर श्रीमाली, पं. अमित ओझा, पं. प्रदीप श्रीमाली, दीपक श्रीमाली, पूर्णिमा श्रीमाली, लक्ष्मी, सरिता श्रीमाली, राखी, मणिशंकर श्रीमाली, अक्षय पुरोहित, गणेष छंगाणी, बसंत श्रीमाली, नवरतन, लक्की पुरोहित, अजय श्रीमाली, काना, हर्षित, कार्तिक, संजय श्रीमाली आदि द्वारा बनाए जा रहे है।