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बीकानेर,भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से संरक्षित  करीब छह शताब्दी प्राचीन भांडासर जैन मंदिर में मंगलवार को वंदना के साथ ध्वजारोहण और भक्ति संगीत के साथ साध्वीश्री मृगावती, सुरप्रिया व नित्योदाया के नेतृत्व में विचक्षण महिला मंडल ने भक्ति गीतों के साथ सत्तर भेदी पूजा करवाई।
श्री चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास की ओर से आयोजित कार्यक्रम में मंदिर में पुरानी ध्वजाओं के बदले छह नई ध्वजाएं लगाई गई। भूमि से करीब 168 फीट ऊंचाई पर मुख्य ध्वजा व अन्य मंदिरों में नवंकार महामंत्र व अन्य मंत्रों के साथ ध्वजाओं की प्रतिष्ठा की गई। पूर्व में साध्वीवृंद ने ध्वजाओं का वासक्षेप आदि शुद्धिकरण कर पूजन किया। श्री चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास के अध्यक्ष निर्मल धारिवाल ने बताया कि  मुंबई में बनी करीब सवा पांच फीट लम्बी ध्वजाओं पर जैन धर्म के चिन्ह, भगवान सूर्य, चन्द्र, एरावत हाथी व अक्षर यंत्र अंकित है। साध्वीश्री मृगावतीश्री ने ध्वजारोहण अवसर पर प्रवचन में कहा कि ध्वजा चढ़ाने का लाभ लेने वाले व प्रत्येक जैन धर्मावलम्बी को चाहिए कि वे नियमित मंदिर में दर्शन, पूजा अर्चना करें। परमात्मा के मंदिर में दर्शन करने से अनेक तरह के कष्ट व विपतियां दूर होती है तथा सुख, सम्पति व समृद्धि प्राप्त होती है।
साध्वीवृंद के नेतृत्व में विचक्षण महिला मंडल की मूलाबाई दुगड़ व उनकी टीम ने करीब सवा दो घंटें तक दोहों, विभिन्न राग व तर्जों के भक्ति गीतों यथा ’’जिन दर्शन से हो निज दर्शन, जो भावे आराधे रे, वीत राग पूजन से प्रभुता आत्म साधे रे’’, ’’कर पूजा धर भाव प्रभु को, लाखों प्रणाम’’, ’’धर्म ध्वजा फहरे गगन, मगन होत सहू लोक’’ आदि को गाया। सतर भेदी पूजा में न्हवण,, वस्त्र, आभरण, धूप, दीप, पुष्पगृह, अष्ट मांगलिक, धूप, गीत-नृत्य तथा कलश पूजा की गई।
श्रीभक्तामर अभिषेक विधान- साध्वीश्री मृगावती, सुरप्रिया व नित्योदाया के सान्निध्य में मंगलवार को रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में श्री मानतुंगाचार्य महाराज की ओर से रचिव भगवान आदि नाथ की स्तुति वंदना के भक्तामर स्तोत्र का पूजन व अभिषेक किया गया। पूजा का लाभ श्रीमती विमलादेवी, हरि सिंह पारख, चोरूलाल व वीरेन्द्र कुमार तातेड़ परिवार ने लिया।
साध्वीवृंद ने किए मंदिरों में दर्शन-साध्वीश्री मृगावतीजी व नित्योदयाजी ने मंगलवार को भांडासर जैन मंदिर के साथ लक्ष्मीनाथ मंदिर परिसर के भगवान नेमिनाथ व शत्रुंज्य तीर्थक मंदिर व लक्ष्मीनाथजी के मंदिर में दर्शन किए। साध्वीजी ने दर्शन के दौरान कहा कि बीकानेर के जैन मंदिर व सनातन धर्म का प्रतिष्ठित लक्ष्मीनाथ मंदिर स्थापत्य कला में बेजोड़ है, मंदिर की प्रतिमाएं जीवंत व प्रभावी है।

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